अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट सन्यास की खबरों को लेकर सुर्खियों में आये महेंद्र सिंह धोनी (Mahendra Singh Dhoni) ने भले ही सन्यास लेने की बात से अपना मुंह पीछे मोड़ लिया हो लेकिन हाल ही में एक और खबर की वजह से वो और उनकी पत्नी साक्षी धोनी (Sakshi dhoni) सुर्खियों में हैं। जी हां जमीनी संपत्ति के व्यवसाय का जाना पहचाना नाम आम्रपाली माही डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड पर चल रहे मामले को लेकर बीते दिन सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी उर्फ (रेरा) (Real Estate Regulatory Authority) वाला रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया है।
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी की गई फॉरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट में ऑडिटरों ने आम्रपाली माही डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड (Amrapali group) और रीती स्पोर्ट्स मैनेजेमेंट प्राइवेट लिमिटेड (Rhiti Sports Management Private Limited) के साथ फर्जी करार होने की बात का खुलासा किया था। सुप्रीम कोर्ट को पेश की गई रिपोर्ट में क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी और उनकी पत्नी साक्षी पर बायर्स का पैसा डायवर्ट करने का आरोप लगा है। आपको बता दें की आम्रपाली माही डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड की निर्देशक धोनी की पत्नी साक्षी हैं। आपको बता दें साक्षी कंपनी की कुल 25% शेयर की हकदार हैं वहीं कंपनी के बाकि बचे 75% शेयर अनिल शर्मा के पास ही हैं।
फॉरेंसिक ऑडिटर्स पवन कुमार अग्रवाल और रवींद्र भाटिया ने इस मामले में हस्तछेप करते हुए कहा की आम्रपाली और रीती स्पोर्ट्स के बीच हुए इस अनुबंध को फर्जी बताया है। फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि रीती स्पोर्ट्स को आम्रपाली समूह से साल 2009 से 2015 के बीच 42.22 करोड़ रुपये मिले। जिनमें आम्रपाली सफायर डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड ने 6.52 करोड़ रुपये दिए थे। हालांकि फ़िलहाल अभी ये साफ नहीं हो पाया है कि आखिरकार रीती स्पोर्ट्स को किसलिए इतनी बड़ी रकम का भुगतान किया गया।
वहीं मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में जारी बहस में जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस यूयू ललित के सामने पेश फॉरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट ने कहा की हमें लगता है कि फ्लैट खरीदारों का पैसा अवैध और गलत तरीके से रीती स्पोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड में डायवर्ट किया गया है। क़ानूनी कारवाही के तहत अब इस रकम को उनसे वापस लिया जाना चाहिए।
आपको बताते चलें साल 2009 से लेकर साल 2016 तक धोनी कंपनी के आधिकारिक तौर पर ब्रांड एंबेसडर भी थे। हालांकि ट्विटर पर जारी लोगों की अपील और करीब 42000 हजार लोगों के फंसे पैसों के विवाद के बाद धोनी ने इस करार से खुद को अलग कर लिया। आधिकारिक तौर पर इस संधि को तोड़ते हुए धोनी ने आम्रपाली ग्रुप पर मान-हानि और विज्ञापन हेतु फीस का भुगतान न होने का आरोप भी लगाया था।
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