Makar Sankranti 2019: गोरखपुर में लगता है ‘खिचड़ी मेला’, बाबा गोरखनाथ को भोग लगाने आते हैं विदेशी

'खिचड़ी मेला' देखने के लिए गोरखपुर के अलावा बिहार, नेपाल से भी लोग आते हैं। मेले में आने वाला व्यक्ति या परिवार बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी और तिल के लड्डुओं का भोग लगाते हैं। इसके बाद यहां आए श्रद्धालुओं को प्रसाद बांटते हैं।

गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर में लगता है खिचड़ी मेला।

हमारे देश में मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2019) यानि खिचड़ी(Khichri) के त्यौहार को बहुत ही शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे हर साल जनवरी के महीने 14 तारिख (इस वर्ष 15 जनवरी) को उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन हिंदू धर्म के लोग सूर्य की पूजा करते हैं और प्रसाद के तौर पर खिचड़ी बनाते हैं। माना जाता है कि इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है।

मकर संक्रांति को पूरे देश में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के दिन दान देना बहुत ही महत्‍वपूर्ण माना जाता है। इस दिन खिचड़ी के अलावा गुड़-तिल, पॉपकोर्न, रेवड़ी और गजक आदि का प्रसाद भी बांटा जाता है। मकर संक्रांति यानि खिचड़ी नेचर और एग्रीकल्चर से जुड़ा त्यौहार है।

देखिए उत्तर प्रदेश में लगने वाले कुम्भ मेले का वीडियो…

इस दिन जम्मू-कश्मीर से लेकर तमिलनाडु तक देश के विभिन्न हिस्सों में मेलों का आयोजन किया जाता है। यहां हम आपको मकर सक्रांति के अवसर पर उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में लगने वाले ‘खिचड़ी मेले’ के बारे में बता रहे हैं। ये मेला गोरखपुर के नाथ संप्रदाय से जुड़े बाबा गोरखनाथ मंदिर के परिसर में लगता है। यह मेला एक महीने से अधिक समय तक लगता है।

‘खिचड़ी मेला’  देखने के लिए गोरखपुर के अलावा बिहार, नेपाल से भी लोग आते हैं। मेले में आने वाला व्यक्ति या परिवार बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी और तिल के लड्डुओं का भोग लगाते हैं। इसके बाद यहां आए श्रद्धालुओं को प्रसाद बांटते हैं। फिलहाल गोरखनाथ मंदिर की देख-रेख का सारा काम पिछले एक दशक से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ करते आ रहे हैं।

ऐसे शुरू हुई मंदिर में मेला लगने की प्रथा

माना जाता है कि तेहरवीं शताब्दी के दौरान जब अलाउद्दीन खिलजी ने ‘गोरक्ष पीठ’ यानि गोरखनाथ मंदिर को ध्वस्त कर मस्जिद बनाने के लिए आक्रमण करने के दौरान साधु-संतों को खाने की अनाज की कमी और खाना बनाने की उचित व्यवस्था नहीं थी। इससे साधु-संत भूख और कमजोरी का शिकार हो रहे थे।

बाबा गोरखनाथ ने इसका समाधान निकाला। उन्होंने साधु-संतों के पास रखे अनाज को एक साथ पकाने के लिए कहा। पकाने के बाद खाने काफी स्वादिष्ट बना। साधुओं को यह खाना काफी स्वादिष्ट लगा और उन्होंने इसका नाम खिचड़ी रखा। खिलजियों से मुक्ति मिलने पर साधु-संतों ने मकर सक्रांति को विजय पर्व मनाया। इसके बाद से यहां हर साल खिचड़ी का मेला लगता है।

देखिए आज की भोजपुरी न्यूज…

 

 

तस्वीरों में देखिए कुम्भ मैले की तैयारियां…

 

रमेश कुमार :जाकिर हुसैन कॉलेज (डीयू) से बीए (हॉनर्स) पॉलिटिकल साइंस में डिग्री लेने के बाद रामजस कॉलेज में दाखिला लिया और डिपार्टमेंट ऑफ पॉलिटकल साइंस में पढ़ाई की। इसके बाद आईआईएमसी दिल्ली।