एक राशि से दूसरी राशि में जाने को ही संक्रांति कहते हैं। एक संक्रांति से दूसरी संक्रांति के बीच का जो वक्त होता है उसे ही सौर मास कहते हैं। सूर्य संक्रांति 12 होती हैं इसमें से चार संक्रांति महत्वपूर्ण होती हैं। इसमें से मेष, कर्क, तुला, मकर है। मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के शुभ मुहूर्त में स्नान दान और पुण्य के शुभ समय का विशेष महत्व माना जाता है।
कहा जाता है कि 14 जनवरी ऐसा दिन है जब अच्छे दिनों की शुरूआत होती है। ऐसा इसलिए कहा जाता है कि क्योंकि सूर्य दक्षिण के बजाय अब उत्तर को गमन करने लग जाता है। क्योंकि जब सूर्य दक्षिण की तरफ गमन करता है तब उसकी किरणों का असर खराब माना जाता है। जबकि उत्तर की तरफ गमन करने से सूर्य की किरणे सेहत और शांति बढ़ाती है।
इस बार क्यों 15 जनवरी को मनाई जाएगी मकर संक्राति
इस बार मकर संक्राति का त्योहार 14 जनवरी नहीं बल्कि 15 जनवरी को मनाई जाएगी। ज्योतिषों के मुताबिक जब सूर्य धनु राशी से मकर राशी में प्रवेश करेगा तब मकर संक्रांति मनाई जाएगी। इसी के चलते कई ज्योतिषों का कहना है कि इस बार कर संक्राति पर किए जाने वाले दान और स्नान 15 जनवरी को करना है।
इस बार का विशेष है मकर संक्राति
मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण हो जाता है। शास्त्रों के अनुसार अत्तरायण देवताओं का दिन माना जाता है। इस दिन सूर्य भगवान की पूजा की जाती है। इस बार सर्वार्थ सिद्धि, अमृत सिद्धि के योग के साथ भानु सप्तमी होने से सूर्य भगवान की पूजा करने से और स्नान-दान पुण्य करने से अधिक फल मिलेगा।
इसके पीछे छुपी है एक कथा
कहा जाता है कि महाभारत काल में भीष्म पितामह ने अपनी शरीर त्यागने के लिए मकर संक्रांति के दिन को चुना था। क्योंकि इस दिन गंगाजी भागीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थी। कहा जाता है कि इसी के चलते संक्रांति मनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है।
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