Nag Panchami 2019: जानिए क्यों की जाती है नाग पंचमी पर नागों की पूजा, इसके पीछे है इस शाप से जुड़ी कहानी

इस बार नाग पंचमी 2019 (Nag Panchami 2019) 5 अगस्त को है। इसे मनाने के पीछे एक बेहद ही बड़ी और महत्वपूर्ण कथा है। जिसकी कहानी नागों को दिए गए शाप से जुड़ी हुई है।

नाग पंचमी 2019 के पीछे की कथा (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

इस साल नाग पंचमी 5 (Nag Panchami 2019) अगस्त यानी सोमवार को है। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ये दिन मनाया जाता है। इस दिन नागों की पूजा के लिए एक कथा है, जिसमें नागों की पूजा क्यों की जाती है इसके बारे में बताया गया है। पुराणों में नागों का मूल महर्षि कश्यप और उनकी पत्नी कद्रू से माना जाता है। इतना ही नहीं उनके मूल स्थान को पाताल लोक कहा जाता है।

इसके साथ ही पुराणों में किन्नर और गन्धर्वों के साथ-साथ नागों के बारे में भी जिक्र किया गया है। भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के शय्या की शोभा नागराज ही बढ़ते हैं। वहीं, भगवान शिव के गले में वासुकी की महत्वपूर्ण भूमिका मानी जाती है। इसके साथ ही पुराणों में भगवान सूर्य के रथ में 12 नागों के बारे में बताया गया है। जो हर महीने उनके रथ के वाहक बनने का काम करते हैं। इसके साथ ही ऐसे कई देवता हैं जिन्होंने नागों को धारण किया हुआ है।

भारतीय संस्कृति में देवरूप में नाग देवता को स्वीकार किया गया है। कश्मीर के रहने वाले संस्कृति कवि कल्हण ने अपनी फेमस किताब में राजतंरगिणी में कश्मीर की पूरी जमीन को नागों का अवदान माना है। इसका सबसे बड़ा परिणाम है वहां के प्रसिद्ध अनन्तनाग का नामकरण। कई जगहों पर नागों की ज्यादा पूजा की जाती है।

 नाग पंचमी की कथा

महाभारत के मुताबिक महर्षि कश्यप की तेरह पत्नियां थी, जिनमें से एक का नाम था कद्रू, जिनकी सेवा से प्रसन्न होकर ही महर्षि ने कद्रू को वरदान मांगन के लिए कहा। इस पर कद्रू ने एक हजार तेजस्वी नाग के पुत्र होने का वरदान मांग। वहीं, महर्षि की एक और पत्नी थी जिनका नाम था विनता। उन्हें के ही पुत्र गरूड हैं। एक बार कद्रू और विनता ने एक सफेद घोडा को देखा।

नागमाता के शाप से डरकर नागों ने वासुकि के नेतृत्व में ब्रह्मा जी से इस शाप का निवारण पूछा। जिसके आधार पर ब्रह्मा जी ने उन्हें निर्देश दिया कि यायावर वंश में पैदा हुए तपस्वी जरत्कारू तुम्हारे बहनोई होंगे। उनका बेटा आस्तीकि ही तुम्हारी रक्षा करेगा। पंचमी तिथि के वक्त ही ब्रह्मा जी ने जब ये वारदान उन नागों को दिया और इसी तिथि पर आतस्तीक ने नागों की रक्षा की थी। नाग पंचमी का यह व्रत ऐतिहासिक तथा सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है।

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दीपाक्षी शर्मा :सभी को देश और दुनिया की खबरों के साथ-साथ एंटरटेनमेंट जगत से रुबरु कराने का काम करती हूं। राजनीतिक विज्ञान का ज्ञान लेकर एमए पास किया है। मास कम्युनिकेशन में पीजी डिप्लोमा के बाद फिलहाल पत्रकारिता कर रही हूं।