देश के प्रसिद्ध साहित्यकार, लेखक और स्तंभकार नामवर सिंह का निधन हो गया। वह 93 वर्ष के थे। नामवर सिंह पिछले महीने से बीमार चल रहे थे। उन्होंने मंगलवार की रात 11.51 बजे अंतिम सांस ली। कहा जा रहा है कि पिछले महीने वह अपने कमरे में अचानक गिर गए थे। उसके बाद उन्हें एम्स में भर्ती करवाया गया था। वहां डॉक्टरों ने उन्हें ब्रेन हेमरेज बीमारी होने के बारे में बताया।
एम्स के डॉक्टरों के मुताबिक उनके स्वाथ्य और बीमारी में पिछले कुछ दिनों से सुधार हो रहा था लेकिन वे पूरी तरह से स्वस्थ नहीं हो पाए थे। आपको बता दें कि नामवर सिंह को 1971 में साहित्य अकादमी सम्मान से सम्मानित किया गया। हिंदी साहित्य में उनकी कविताएं, कहानियां, आलोचनाएं, विचारधाराएं और अखबारों में उनके स्तंभ ने लोगों को काफी प्रभावित किया।
वारणसी में हुआ जन्म
आपको बता दें कि नामवर सिंह का जन्म 28 जुलाई 1927 को वाराणसी के एक गांव जीयनपुर में हुआ था। अब यह गांव जिला चंदौली में है। नामवर सिंह ने वाराणसी हिंदू विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य में एमए और पीएचडी किया और यहीं कई वर्षों तक पढ़ाया। इसके बाद उन्होंने सागर और जोधपुर विश्वविद्यालय में पढ़ाया और फिर वे दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय में पढ़ाने आए और यहीं से रिटायर होकर निकले।
जेएनयू में पढ़ाया
नामवर सिंह ने जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय में भारतीय भाषा केंद्र की स्थापना की। उन्होंने इसके साथ ही हिंदी साहित्य में अहम योगदान दिया और इसे ऊंचाई पर ले गए। जेएनयू से रिटायर होने के बाद नामवर सिंह को महाराष्ट्र के वर्धा स्थित महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के चांसलर के रूप में नियुक्त किया गया।
यहां से लड़ा लोकसभा चुनाव
नामवर सिंह ने वराणसी हिंदू विश्वविद्यालय के में पढ़ाने के दौरान 1959 में चकिया चन्दौली लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी बने। लेकिन उन्हें हार का सामना करना। उन्होंने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था। हारने के बाद उन्होंने अपने आप को पूरी तरह से हिंदी साहित्य में समर्पित कर दिया और इसे ऊंचाइयों पर ले गए।
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