Nirbhaya Rape Case: निर्भया के दोषियों को मृत घोषित किया गया, फांसी से पहले विनय ने नहीं बदले थे कपड़े

निर्भया के चारों दोषियों को सुबह साढ़े पांच बजे फांसी दे दी गई। मेडिकल ऑफिसर ने चारों दोषियों को मृत घोषित किया।

निर्भया गैंगरेप के दोषियों की तस्वीर

Nirbhaya Rape Case: साल 2012 में दिल्ली में हुए इस दिल दहला देने वाले हादसे ने पूरे देश को झकझोरकर रख दिया। निर्भया को इंसाफ दिलाने के लिए पूरा देश रोड पर उतर गया था। लेकिन आज इतने सालों के बाद आखिरकार इंसाफ हुआ। बता दे, निर्भया गैंगरेप केस में दोषियों की फांसी टलवाने की सारी कोशिश नाकाम हो गई। दिल्ली हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी निर्भया गैंगरेप के दोषियों की फांसी के खिलाफ याचिका गुरूवार और शुक्रवार की आधी रात को ठुकरा दी। जिसके बाद अब निर्भया के चारों दोषियों को सुबह साढ़े पांच बजे फांसी दे दी गई। मेडिकल ऑफिसर ने चारों दोषियों को मृत घोषित किया।

फांसी देने से पहले तिहाड़ जेल के कई अधिकारी फांसी घर के पास पहुंचे, जिनकी निगरानी में फांसी की प्रक्रिया को पूरा किया गया। फंदे पर लटकाने से पहले जब दोषियों को नहाने और कपड़े बदलने के लिए कहा गया, तो दोषी विनय शर्मा ने कपड़े बदलने से इनकार कर दिया। इसके अलावा वह फूट फूट कर रोना शुरू कर दिया और माफी मांगने लगा। चारों दोषियों को फांसी दिए जाने से पहले ही तिहाड़ जेल के बाहर बड़ी संख्या में भीड़ जुटी। दिल्ली के स्थानीय लोग, कुछ एक्टिविस्ट फांसी से पहले जेल के बाहर खड़े रहे और 20 मार्च के इस दिन को निर्भया के लिए सच्ची श्रद्धाजंलि वाला बताया। दोषियों के फांसी पर लटकाए जाने के बाद यहां पर कई लोगों ने जश्न भी मनाया और मिठाई भी बांटी। इस दिन का निर्भया के परिवार के साथ-साथ पूरे देश को भी बेसब्री से इंतजार था। बेटी को इंसाफ दिलाने के लिए माँ आशा देवी पिछले 7 सालों से दर-दर भटक रही थी।

चारों दोषी- मुकेश सिंह, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और अक्षय ठाकुर

– फांसी से पहले सुबह 4 बजे चारों दोषियों को उठाया गया और नहाने के बाद नए कपड़े पहनने के लिए कहा गया।

– इसके बाद दोषियों को जेल प्रशासन की ओर से चाय-नाश्ता पूछा गया, हालांकि किसी ने नाश्ता नहीं किया।

– इसके बाद जेल प्रशासन की ओर से दोषियों से उनकी आखिरी इच्छा पूछी गई।

– ठीक 5.30 बजे चारों दोषियों को तिहाड़ जेल के फांसी घर में फांसी के फंदे पर लटकाया गया।

निर्भया गैंगरेप केस में साल 2013 में पहली बार दोषियों को मौत की सजा सुनाई गई थी। लेकिन उनकी फांसी की तारीख टलती गई। इस दिल दहला देने वाले हादसे के बाद निर्भया को इलाज के लिए बाहर भी ले जाया गया था लेकिन देश की बेटी की जान नहीं बच पाई थी।