आज यानी गुरुवार के दिन निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) व्रत है। यह व्रत भगवान भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की पूजा से जुड़ा होता है। इस दिन व्रत करके श्रद्धा के साथ किसी चीजों को दान किया जाता है। जो भी पूरे विधि विधान के साथ जल कलश दान करता है उसे साल भर एकादशियों का फल प्राप्त होता है और वह हर तरह के पाप से मुक्त हो जाते हैं। आपने भी ये व्रत आज रखा है तो जरूरी है कि इससे जुड़ा इतिहास और महत्व आपको पता हो। यदि नहीं तो चलिए हम आपको एकदाशी व्रत से जुड़े हर एक अहम चीजे के बारे में बताते हैं।
एकादशी व्रत का है ये इतिहास
एक वक्त की बात जब भीमसे ने व्यासजी के मुंह से हर एकादशी को निराहार रहने का नियम सुनकर इस बात का निवेदन किया कि महाराज मुझसे किसी भी व्रत नहीं रखा जाता है। पूर दिन बड़ी तीव्र क्षुधा बनी रहती है। आप कोई ऐसा उपाय बताइए जिससे प्रभाव से स्वत:सद्गति हो जाए। इसके बाद व्यासजी ने बतााया कि तुमजे साल की सम्पूर्ण एकादशी नहीं हो पाती है तो सिर्फ एक निर्जला कर लो, इससे सालभर की एकादशी करने के बराबर आपको फल मिल जाएगा। तब जाकर भीम ने वैसा ही किया और स्वर्ग उन्हें प्राप्त हुआ। यहीं, वजह है यह एकादशी भीमसेनी एकादशी के नाम से भी जानी जाती है।
क्या है इसके महात्व
यह व्रत बिना पानी पीए पूरे दिन रखा जाता है। यहीं, वजह है कि यह व्रत एक कठिन तप करने की तरह होता है। इस व्रत को पांडव एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है भीमसेन ने इस व्रत का पालन किया था और स्वर्ग को गए थे। इसी वजह से इस व्रत को भीमसेनी व्रत भी कहा जाता है।
निर्जला एकादशी वर्त करने से अधिकमास की दो एकादशियों के साथ-साथ साल की 25 एकादशी व्रत का फल प्राप्त हो जाता है। निर्जला एकादशी के दिन कुछ भी खाने के साथ-साथ पानी पीना भी मना है। यह व्रत मन को संयम में रखना और शरीर में नई ऊर्जा पैदा करने में मदद करता है।