प्रवाशी मजदूरों (Migrant Workers) के लिए एक खुशखबर है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आज सेंटर से कहा कि दिहाड़ी मजदूरों से ट्रैन या बसेस का कोई भी किराया नहीं लिया जाएगा। मजदूरों को राज्य द्वारा भोजन उपलब्ध कराना होगा और ट्रेनों में रेलवे द्वारा पानी और भोजन उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
कोर्ट ने यह भी कहा कि पैदल जा रहे श्रमिकों को तुरंत आश्रय स्थलों पर ले जाया जाए और उन्हें भोजन और सभी बुनियादी सुविधाएं प्रदान की जाएं। प्रवाशी अपनी मूल स्थानों पर जाने के लिए चिंतित है। उसने पंजीकरण, परिवहन और भोजन और पानी के प्रावधान की प्रक्रिया में कई खामियां पाई हैं।
सरकार ने पहले ही कहा हैं कि प्रवाशी मजदूरों से कोई भी किराया नहीं लिया जा रहा है, यह बताते हुए कि रेल मंत्रालय 85% टिकट का किराया और राज्य सरकारों का 15% वहन कर रहा है।
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इससे पहले केंद्र ने बताया कि अब तक 91 लाख प्रवासियों को उनके गंत्यव्य स्थान पहुंचा दिया गया है। 1 मई से 27 मई तक, 50 लाख ट्रैन से और 47 लाख बाय रोड से भेजे गए है। केंद्र की ओर कोर्ट में पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि 80 फीसद प्रवासी उत्तर प्रदेश और बिहार से हैं।
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