Krishna Janmashtami 2019: वृंदावन में बादशाह अकबर ने बनाए थे श्रीकृष्ण के 4 मंदिर, जानिए इनसे जुड़ी खास बातें

देशभर में आज श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami 2019) की धूम मची हुई हैं। जन्माष्टमी के इस खास मौके पर घरों-मदिरों को सजायां जा रहा है। 14 वर्षों के बाद इस जन्माष्टमी पर एक साथ तीन संयोग बन रहे हैं। जो पूजन और व्रतियों के लिए फलदायी सिद्ध होगा।

भगवान श्रीकृष्ण के ये पांच मंदिर जहां किस्मत वालों को ही होते हैं दर्शन (फोटो-सोशल मीडिया)

देशभर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami 2019) का पर्व धूमधाम से मनाई जा रही है। इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा में कंस के कारागृह में हुआ था। जन्माष्टमी पर देशभर के सभी श्रीकृष्ण मंदिरों में भक्तों की भीड़ लगी रहती है। सभी लोग कान्हा की अलग-अलग ढंग और परंपरा से पूजा करते हैं। श्रीकृष्ण का जन्म भले ही मथुरा में हुआ हो, भले ही वृंदावन, गोकुल और नंदगांव में उनके अनेकों मंदिर हों, लेकिन उनकी पूजा पूरे देश ही नहीं दुनिया भर में होती है। आइए जानते हैं देश के 5 प्राचीन और बड़े श्रीकृष्ण मंदिरों से जुड़ी कुछ खास बातें…

वृंदावन स्थित बांके बिहारी मंदिर

वृंदावन का बांके बिहारी मंदिर यहां बड़ी संख्या में कान्हा के भक्त उनके दर्शन के लिए पहुंचते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यहां श्रीकृष्ण ने अपना बचपन बिताया था। कहा तो ये भी जाता है कि यहां श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का आभास आज भी होता है। मुगलकालीन बादशाह अकबर जब वृंदावन आया तो उसने इस क्षेत्र में चार मंदिर बनवाने के आदेश भी दिए थे। ये चार मंदिर हैं मदन-मोहन मंदिर, गोविंदजी मंदिर, गोपीनाथ मंदिर और जुगल किशोर मंदिर।

श्रीकृष्ण जन्मभूमि, मथुरा

कान्हा कि जन्मस्थली माने जाने वाला शहर मथुरा में स्थित श्रीकृष्ण जन्म भूमि उसी स्थान पर बना हुआ है, जहां श्रीकृष्ण का जन्म लिया था। यहीं पर भगवन ने राक्षस कंस का वध किया था। इस क्षेत्र में स्थित नदी के घाट पर बालकृष्ण स्नान किया करते थे।

ये तो रही मथुरा और वृंदावन में स्थित श्रीकृष्ण के प्रमुख मंदिरों के बारे में जानकारी। आइए अब जानते हैं कि देशभर में कौन-कौन से श्रीकृष्ण मंदिर मौजूद हैं, जहां आपको एक बार जरूर जाना चाहिए। आइए इनपर एक नजर डालते हैं…

जगन्नाथ पुरी मंदिर

उड़ीसा के पूर्व में स्थित जगन्नाथ पुरी में भगवान श्रीकृष्ण अपने बड़े भाई और बहन सुभद्रा के साथ विराजमान हैं। इस मंदिर से निकाले जाने वाली रथ यात्रा का सम्पूर्ण भारत में बहुत अधिक महत्त्व है। इस मंदिर का पुरातन नाम पुरुषोत्तम पुरी, नीलांचल, शंख और श्रीक्षेत्र भी है। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा राधा और श्रीकृष्ण का युगल स्वरूप है। श्रीकृष्ण, भगवान जगन्नाथ के ही अंश स्वरूप हैं। इसलिए भगवान जगन्नाथ को ही पूर्ण ईश्वर माना गया है।

गुरुवयूर मंदिर, केरल

केरल में स्थित गुरुवयूर मंदिर का सबंध गुजरात से माना गया है। दोबारा सत्ता में वापस आने के बाद पीएम मोदी भी सबसे पहले इस मंदिर में ही दर्शन करने पहुंचे थे। इस मंदिर को दक्षिण भारत का द्वारिका भी कहा जाता है। प्रचलित मान्यता केअनुसार इस मंदिर में स्थित श्रीकृष्ण की प्रतिमा की पूजा स्वयं ब्रह्माजी द्वारा की गई है। यहां श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा की जाती हैं। इसके अलावा मंदिर में भगवान विष्णु के दस अवतारों को भी दर्शाया गया है।

द्वारिकाधीश मंदिर, गुजरात

गुजरात के पश्चिमी भाग में स्थित है द्वारिकाधीश का मंदिर करीब 2,500 साल पुराना है। यहां श्रीकृष्ण और रुक्मिणी की प्रतिमाएं स्थित हैं। इस मंदिर की इमारत 5 मंजिला है और इसकी ऊंचाई 235 मीटर है। यह इमारत 72 स्तंभों पर टिकी हुई है। ऐसा माना जाता है कि द्वारकाधीश मंदिर का निर्माण भगवान श्री कृष्ण के पोते वज्रभ ने करवाया था।

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सुबह से ही मंदिरों में गूंज रही कान्हा के जन्म की खुशियां…

तृप्ति शर्मा :दो साल से मीडिया जगत में काम कर रही हूं। हर दिन कुछ नया करने की जिद है। वीडियो एडिटिंग के साथ ही फिल्मी खबरें लिखना मुझे बहुत अच्छा लगता है। कुछ और बेहतर होगा इसी उम्मीद के साथ मैं हिन्दी रश डॉट कॉम के साथ जुड़ी हूं।