प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सियासी सरगर्मी के बीच मध्य प्रदेश के इंदौर पहुंचे हैं। वहां उन्होंने मुहर्रम के माह में मनाए जाने वाले मातम यानी इमाम हुसैन की शहादत में शामिल हुए। इस दौरान पीएम मोदी दाऊदी बोहरा मुस्लिम समुदाय के 53वें धर्मगुरु सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन के कार्यक्रम में शामिल हुए।
पीएम ने सैफी मस्जिद में जाकर वहां पर शिया मुस्लमानों को राष्ट्रभक्त बताया और साथ ही कहा कि मुस्लिम उनके विकास मिशन को आगे बढ़ाने में तत्पर दिखे हैं। लोकसभा चुनाव 2019 को करीब आते देख पीएम ने मुस्लिमों वोट के लिए नया दांव चला है। इसको सीधे तौर पर राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा है।
शांति का पैगाम…
मोदी ने कहा कि आप सभी के बीच में आना हमेशा मुझे प्रेरणा देता है, एक नया अनुभव देता है। अशरा मुबारक के इस पवित्र अवसर पर आपका आभारी हूं। उन्होंने यह भी कहा कि बोहरा समाज ने हमेशा से शांति का पैगाम रहा है। शांति का संदेश देने की यही शक्ति हमें दुनिया से अलग बनाती है। हमें अपने अतीत पर गर्व है।
पीएम मोदी दिखे मग्न…
इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इमाम हुसैन की शहादत में होने वाले मातम में शामिल हुए। इतना ही नहीं उन्होंने इमाम हुसैन के मातम के दौरान पढ़े जाने वाले मरसिया और सैयदना की मजलिस को मग्न होकर सुना। इस मौके पर पीएम हर क्रियाकलाप में शिरकत किए और धर्मगुरु के साथ बात करते दिखे।
बोहरा के बहाने मुस्लिम वोट…
कई मुद्दों को लेकर मुस्लिम उलेमा मोदी के विरोध में हैं। ऐसे में मोदी ने दाऊदी बोहरा समुदाय के बीच पहुंचकर सिर्फ बोहरा समुदाय के साथ-साथ शिया समुदाय वोट को बटोरने की रणनीति साफ दिख रही है। वैसे ये कोई पहला दाव नहीं है क्योंकि नरेंद्र मोदी ने 2014 में सत्ता में आने के बाद मुख्तार अब्बास नकवी को अपनी कैबिनेट में जगह दी वहीं सैयद गय्यूर उल-हसन रिजवी को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अध्यक्ष बनाया।
पीएम के इस दौरे को मुस्लिम वोट के साथ जोड़ कर इसलिए देखा जा रहा है क्योंकि लोकसभा चुनाव 2019 करीब आ रहा है। साथ ही मध्य प्रदेश का विधानसभा चुनाव भी बस कुछ माह दूर है। साथ ही अयोध्या मसले को लेकर हिंदू नाराज दिख रहे हैं। इसके अलावा बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी महासंपर्क अभियान चलाकर अलग-अलग वर्ग का वोट बटोरने की कवायद कर रहे हैं। ऐसे में शिया मुस्लमानों के वोट बटोरने का इससे बेहतर मौका नहीं था।