नीतीश कुमार के साथ फिर आए प्रशांत किशोर, JDU में शामिल, जानें चुनाव के चाणक्य की पूरी कहानी

प्रशांत किशोर ना केवल राजनीति बल्कि कई अभियानों को लेकर भी सफल रहे हैं

प्रशांत किशोर को आज का चाणक्य कहना सटीक बैठता है। प्रशांत किशोर आज के राजनेताओं के लिए जीत का दूत माने जाते हैं तभी तो हर बड़ी पार्टी इनको अपने साथ जोड़ना चाहती है। लेकिन इन तमाम बातों पर अब विराम लग चुका है क्योंकि प्रशांत किशोर ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मौजूदगी में जदयू का हाथ थाम लिया है। बिहार में अपनी पकड़ को बरकरार रखने के लिए नीतीश कुमार प्रशांत की रणनीतियों पर काम करेंगे। बिहार में एक बार फिर आगामी लोकसभा चुनाव 2019 में प्रशांत का जलवा देखने को मिलेगा।

प्रशांत किशोर स्टूडेंट्स लाइफ से लेकर अब तक हर क्षेत्र में सफल रहे हैं। खबरों की मानें तो ऐसा कहा जाता है कि वह जिस काम की जिम्मेदारी संभालते हैं उसपर खरा उतरते हैं। प्रशांत किशोर अभिनय के साथ-साथ हेल्थ कैंपेन से लेकर तमाम सामाजिक अभियान चलाए हैं। प्रशांत किशोर ही वह शख्स हैं जिन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव में CM मोदी को PM मोदी बनाया। ना केवल भाजपा बल्कि प्रशांत किशोर की रणनीतियों ने कई बड़ी पार्टीयों की नय्या पार लगाई है। इनके सफल जीवन की रोचक जानकारी को जानकर शायद यकीन करना मुश्किल लेकिन सच तो यही है…

PM मोदी ने जब पहली बार देखा
यह बात बहुत पुरानी नहीं है। उन्होंने हैदराबाद में पढ़ाई पूरी होने के बाद यूनिसेफ (UNICEF) में नौकरी ज्वाइन की और ब्रांडिंग का जिम्मा संभाला। यूनिसेफ के साथ काम करने के बाद साल 2011 में प्रशांत भारत लौटे और गुजरात के खास आयोजन ‘वाइब्रैंट गुजरात’ से जुड़े। इस आयोजन की ब्रांडिंग आदि का जिम्मा खुद संभाला और यह बेहद सफल रहा।

ऐसा कहा जाता है कि ‘वाइब्रैंट गुजरात’ के आयोजन के दौरान राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से जान-पहचान, मुलाकात हुई और फिर प्रशांत किशोर ने मोदी के लिए काम करना आरंभ किया। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो 2014 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी के चुनाव प्रचार के दो अहम अभियान, ‘चाय पर चर्चा’ और ‘थ्री-डी नरेंद्र मोदी’ के पीछे प्रशांत किशोर का ही दिमाग था। ये दोनों अभियान काफी सफल रहे और बीजेपी सत्ता तक पहुंची।

महागठबंधन का सफल मंत्र
महागठबंधन जो मिशन- 2019 को लेकर चर्चा में है। दरअसल, इस महागठबंधन के आधार पर प्रशांत किशोर ने बिहार में बड़ी जीत दिलाई थी। इस महागठबंधन में कांग्रेस, जदयू और राजद ने मिलकर चुनाव लड़ा था और महागठबंधन के सहारे प्रशांत किशोर ने मोदी लहर को बिहार में रोक दिया था। साथ ही 2017 में उत्तर प्रदेश और पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिये काम कर चुके हैं। हालांकि यूपी में कांग्रेस को जीत ना दिला पाए लेकिन पंजाब में कांग्रेस को शानदार जीत दिलाई।

बता दें कि प्रशांत किशोर का जन्म साल 1977 में बिहार के बक्सर जिले में हुआ। प्रशांत के पिता डॉ. श्रीकांत पांडे पेशे से चिकित्सक हैं। वहीं मां इंदिरा पांडे हाउस वाइफ हैं। राजनीति में रणनीति को लेकर प्रशांत पिछले 5-6 सालों में काम कर रहे हैं। लेकिन इनके ज्यादा तर परिणाम कारकर सिद्ध हुए हैं और प्रशांत जिस खेमे में जाते हैं उसकी जीत लगभग तय मानी जाती है।

रवि गुप्ता :पत्रकार, परिंदा ही तो है. जैसे मैं जन्मजात बिहारी, लेकिन घाट-घाट ठिकाने बनाते रहता हूं. साहित्य-मनोरंजन के सागर में गोते लगाना, खबर लिखना दिली तमन्ना है जो अब मेरी रोजी रोटी है. राजनीति तो रग-रग में है.