हर साल हिन्दू और जैन श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन का त्योहार मनाते हैं| इस दिन बहनें अपने भाई के दायें हाथ पर राखी बाँधकर उसके माथे पर तिलक करती हैं और उसकी दीर्घ आयु की कामना करती हैं। बदले में भाई उनकी रक्षा का वचन देता है। ऐसा माना जाता है कि राखी के रंगबिरंगे धागे भाई-बहन के प्यार के बन्धन को मज़बूत करते है। भाई बहन एक दूसरे को मिठाई खिलाते हैं और सुख-दुख में साथ रहने का विश्वास दिलाते हैं। यह एक ऐसा पावन पर्व है जो भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को पूरा आदर और सम्मान देता है।
इस दिन बहनें अभी भाइयों को रक्षासूत्र बांधती हैं जिसका सबसे ज्यादा महत्त्व होता है| ये त्यौहार में ये जरुरी नहीं है कि आप कोई महंगी राखी बांधे बल्कि एक राखी कच्चे सूत जैसे सस्ती चीज़ से लेकर रंगीन कलावे, रेशमी धागे, तथा सोने या चाँदी जैसी मँहगी वस्तु तक की हो सकती है। इस त्यौहार में भाई अपनी बहन की रक्षा का व्रत लेता है|
इन बातों का रखें ध्यान-
भाई के लिए राखी शुभ हो इसके लिए उसमें कुछ तत्वों का होना आवश्यक है। राखी में अगर ये तत्व नहीं हैं तो चाहे आप हीरे की ही राखी ही क्यों न खरीद लें, भाई के लिए वह रक्षासूत्र साबित नहीं हो सकती…
रक्षासूत्र यानी राखी के कुछ मुख्य अवयय हैं। राखी को सही अर्थों में रक्षासूत्र बनाने के लिए उसमें केसर, अक्षत, सरसों के दाने, दूर्वा और चंदन को रेशम के कपड़े में बांध लें या रेशम के धागे में पिरो अथवा चिपका लें।
राखी में केसर ओज और तेज में वृद्धि का, अक्षत स्वस्थ रहने की कामना का, सरसों के दाने भाई के बल के विकास का, दूर्वा सदगुणों में वृद्धि का और चंदन भाई के जीवन की सुगंध और शीतलता में वृद्धि का कारक माना है। धार्मिक आस्था है कि इन प्राकृतिक अवयवों से भाई को चहुंओर तरक्की मिलती है।
राखी को भाई की दाहिनी कलाई यानी सीधे हाथ की कलाई पर बांधना चाहिए। इस कलाई पर राखी बांधने के कई कारण होते हैं। माना जाता है कि इस कलाई पर राखी बांधने से भाई सदैव सही कार्यों की तरफ बढ़ता और बुराइयां उसे छू भी नहीं पातीं। वह गलत रास्तों पर जाने से बचता है। उसके भीतर आत्मविश्वास बढ़ता है और उसमें दूसरों की रक्षा करने की शक्ति बढ़ती है।
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