इस बार भाई बहनों का सबसे पवित्र त्योहार रक्षाबंधन 15 अगस्त को मनाए जाने वाला है। हर साल हिन्दू और जैन श्रावस मास की पूर्णिमा के दिन इस त्योहार को मनाया जाता है। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बंधती है और भाई उसे रक्षा का वचन देता है। इस बार राखी आप सूर्य अस्त होने से पहले बांध सकते हैं। ऐसा इसलिए क्यों ज्योतिषियों के मुताबिक इस बार का रक्षा बंधन भद्रा दोष से मुक्त है।
इस बार बहन अपने भाई को सूर्य अस्त होने से पहले कभी भी राखी बांध सकती हैं। यदि इस राखी भद्रा दोष होता तो उस दौरान राखी बंधने का एक शुभ मुहूर्त होता क्योंकि भद्रा के टाइम कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित माना गया है। इसके साथ ही 14 अगस्त को अपराह्न 3:45 बजे पूर्णिमा लगा जाएगी, जोकि 15 अगस्त को शाम 5:58 बजे तक रहेगी। ऐसे में आप अपने भाई को शाम 5:58 बजे तक राखी बंध सकती है जोकि काफी लाभकारी भी होगा।
रक्षाबंधन की कथा
इस बारे में किसी को भी नहीं पता कि राखी का त्योहार कब और कैसे शुरू हुआ लेकिन इसके बारे में भविष्य पुराण में वर्णन मिलता है कि देव और दानवों में जब युद्ध शुरू हुआ तब दानव देवताओं पर हावी होने लगे| जिसके बाद भगवान इन्द्र घबरा कर बृहस्पति के पास गये। जहां पर इन्द्र की पत्नी इंद्राणी बैठी हुई थी और उनकी परेशानी को सुन रही थी| उन्होंने रेशम का धागा मन्त्रों की शक्ति से पवित्र करके अपने पति के हाथ पर बाँध दिया। संयोग से वह श्रावण पूर्णिमा का दिन था। इसके बाद से लोगों ने माना कि इन्द्र ने दानवों के साथ इस लड़ाई में इसी धागे की मन्त्र शक्ति से ही विजयी हुए थे। और तबसे श्रावण पूर्णिमा के दिन यह धागा बाँधने की प्रथा चली आ रही है।
इसके अलावा एक और कथा फेमस है| ऐसा कहा जाता है कि मेवाड़ की रानी कर्मावती को बहादुरशाह द्वारा मेवाड़ पर हमला करने की सूचना पहले ही मिल गई थी| हालांकि, रानी लड़ने में असमर्थ थी| इसलिए उन्होंने मुगल बादशाह हुमायूं को राखी भेज कर अपनी रक्षा की याचना की। हुमायूं ने मुसलमान होते हुए भी रानी कर्मवती की राखी की लाज रखी और मेवाड़ पहुँच कर बहादुरशाह के विरूद्ध मेवाड़ की ओर से लड़ते हुए कर्मावती व उसके राज्य की रक्षा की।