चैत्र नवरात्र इस साल 6 अप्रैल को शुरू था। चैत्र नवरात्र के नौवें दिन पर रामनवमी मनाई जाती है। इस बार रामनवमी 13 और 14 अप्रैल को मनाई जाएगी। हिंदू मान्यता के हिसाब से इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। भगवान राम को विष्णु जी का सातवां अवतार मना जाता है। उनका जन्म चैत्र नवरात्र के नौंवे दिन शुक्ल पक्ष में हुआ था।
इस शुभ दिन को हर त्योहार की तरह धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस त्योहार को मनाने के पीछे क्या महत्ता है। आज हमको आपको बतातें रामनवमी जैसे पावन पर्व की खासियत। तो इंतजार कैसा आप भी जानिए इस दिलचस्प बात को और खो जाइए भगवान राम की भक्ति में। आपको बता दें कि इस दिन भी कई श्रद्धालु उपवास रखते हैं।
इस दिन बुरी शक्तियों का होता है नाश
कहते हैं कि इस दिन बुरी शक्तियों का नाश होता है और धरती पर अच्छाई का समावेश होता है। राक्षसों का संहार करने के लिए इस दिन भगवान विष्णु राम के अवतार में अयोध्या में जन्म लिए थे। रामनवमी में कई विधि-विधान के जरिए हिंदू धर्म के लोग अपनी आत्मा और मन की शांति करते हैं। इस त्योहार को रामलीला मनाकर भी हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।
इस दिन भगवान राम ने जन्म लेकर रावण के वध की भी नींव रखी थी। इसलिए ये दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का भी प्रतीक है। इस दिन अयोध्या के लोग इसे काफी खास तरीके से मनाते हैं। वो सरयू नदी में डुबकी लगाकर अपनी आत्मा को शुद्ध करते हैं और पूरी भक्तिभाव से राम की आराधना भी करते हैं। इसके साथ ही कई जगहों पर रथ यात्रा भी निकलती हैं।
बिहार में भी इस वजह से रामनवमी मनाते हैं धूम-धाम से
सिर्फ अयोध्या नहीं, इस पर्व का बिहार के सीतामढ़ी में भी खास महत्व है। जैसा कि इस जगह को मां सीता के जन्म स्थान के तौर पर जाना जाता है। ऐसे में यहां के लोगों के लिए भी ये पर्व काफी खास होता है। वो इसे पूरे धूमधाम और भव्य तरीके से मनाते हैं। इसके अलावा, रामेश्वरम में भी इस पर्व का काफी महत्व है। वाकई में रामनवमी अच्छाई के दिन का प्रतीक होता है।