राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के सेमिनार की चर्चा लंबे समय से चल रही थी। संघ द्वारा दिल्ली में आयोजित तीन दिवसीय कार्यक्रम ‘भविष्य का भारत, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दृष्टिकोण’ में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अपनी बात रखी। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस की तारीफ कर दी।
मोहन भागवत ने कहा कि कांग्रेस आजादी की लड़ाई में देश के लोगों को जागरुक करने के लिए बनी थी लेकिन आज हालात कुछ और हैं। भागवत ने कहा कि कांग्रेस के रूप में देश की स्वतंत्रता के लिये सारे देश में एक आंदोलन खड़ा हुआ। साथ ही इस दौरान वे इस्लाम, महिला विरोधी होने आदि को लेकर भी बात कही।
सुभाषचंद्र बोस से मुलाकात
1942 की बात है अब तक हम आजाद नहीं हुए थे। इस दौरान वीर सावरकर ने पुणे प्रांतिक बैठक को संबोधित किया। साथ ही श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने डॉक्टरजी से मिलकर बंगाल के हिंदुओं की दुर्दशा पर चिंता व्यक्त की थी और जागरूक करने पर जोर दिया था।
वहीं इसी साल 9 जून डॉक्टरजी ने नागपुर तृतीय वर्ष शिक्षार्थियों को समापन पर संबोधित किया। यह उनका अंतिम भाषण सिद्ध हुआ। इस वर्ग में देश के सभी प्रांतों से स्वयंसेवक शिक्षार्थी के रुप में आए थे। सुभाषचंद्र बोस से 19 जून को डॉक्टरजी से मुलाकात कर आजादी की लड़ाई पर खास चर्चा की थी।
संघ पर कब-कब बैन
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का सफर संघर्षपूर्ण और विवादों से भरा रहा है। प्राप्त खबरों की मानें तो संघ को कई बार बैन भी किया गया है।
- 30 जनवरी, 1948 को महात्मा गांधी की हत्या के बाद आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
- दुसरी बार 1992 में संघ को बैन किया गया। पाबंदी की वजह अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस में संघ की भूमिका थी। 6 महीने के लिए प्रतिबंध लगाया गया था।
- 1975 में जब देश में आपातकाल घोषित किया गया उसी दौरान फिर से इस पर प्रतिबंध लगाया गया। दो साल बाद प्रतिबंध हटा।
विश्व में संघ की पकड़
- दुनिया के करीब 40 देशों में संघ सक्रिय है।
- संघ परिवार में 80 से ज्यादा समविचारी संगठन हैं।
- मौजूदा समय में संघ की 56 हजार 569 दैनिक शाखाएं लगती हैं। करीब 13 हजार 847 साप्ताहिक मंडली और 9 हजार मासिक शाखाएं भी हैं।
- 50 लाख से ज्यादा स्वयंसेवक नियमित रूप से शाखाओं में आते हैं। देश की हर तहसील और करीब 55 हजार गांवों में संघ की शाखाएं लग रही हैं।
बता दें कि 1925 में दशहरे के दिन डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की थी। संघ की स्थापना राष्ट्रहित के लिए की गई है लेकिन अक्सर हिंदू समर्थन होने का आरोप इस पर लगता रहता है।