हिंदू रिति रिवाज के मुताबिक हर महीने में दो बार चतुर्थी आती है। पहली जिसे संकष्टी चतुर्थी कहते हैं, वो कृष्ण पक्ष की पूर्णमासी के बाद आती है। इसके साथ ही दूसरी विनायक चतुर्थी शुक्ल पक्ष की अमावस्या के बाद आती है। माघ के महीने में संकष्टी चतुर्थी के अधिक मायने होते हैं। इस व्रत को देश के हर कोने में रखा जाता है, खासकर तो महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे राज्यों में।
ऐसे में यदि बात करें अंग्रेजी कैलेंडर की तो, उसके मुताबिक इस बार की माघ संकष्टी चतुर्थी 24 जनवरी को पड़ रही है। इसके साथ ही संकष्टी चतुर्थी की शुरूआत 23 जनवरी की रात 11 बजकर 59 मिनट से होगी। वहीं, ये समाप्त 24 जनवरी को रात 08 बजकर 54 मिनट पर होगी। चंद्रोदय का समय 08 बजकर 02 मिनट होगा। वैसे इस व्रत को रखने से पहले इसके मायने और महत्व जानना बेहद जरूरी है। संकष्टी चतुर्थी का मतलब है संकट को हरने वाली चतुर्थी। इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है। ऐसा इसलिए ताकी उनके आर्शीवाद से सब कुछ अच्छे से हो जाए। ऐसा कहा जाता है कि यदि पूरे विधि विधान के साथ इस दिन आप पूजा करते हैं तो इससे आपके सारे दूख दूर हो जाएंगे।
संकष्टी चतुर्थी की पूजा कुछ इस तरह से करें-
- इस दिन सुबह जल्दी उठकर नहा लें।
- इसके बाद उत्तर दिशा की तरफ मुंह करके भगवा गणेश की पूजा करें और उन्हें पानी चढ़ाएं।
- ऐसा करते वक्त पानी में कुछ तिल मिला लें।
- शाम के वक्त भी भगवान गणेश की पूजा करें।
- पूजा करते वक्त आप गणेश जी को दूब चढ़ाएं और ऐसा करने से आपके धन और सम्मान में बढ़त होगी।
- याद रखिएगा कि गलति से आप गणेश जी पर तुलसी न चढ़ाएं। क्योंकि ऐसा करने पर भगवान गणेश जी नाराज हो जाते हैं।
- अब उन पर शमी का पत्ता और बेल पत्र चढ़ाएं।
- तिल के लड्डूओं का भोग लगाकर बाद में गणेश जी की पूजा करें।
- पानी में गुड़ और तिल मिलाकर चांद को अर्घ्य दें।
- अब तिल के बने लड्डू खाकर अपना व्रत खोलें।
- इस दिन तिल दान करना भी शुभ रहता है।
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