Sardar Patel Birth Anniversary: आज देश के लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की 144वीं जयंती है। देश के सबसे पॉपुलर और शक्तिशाली नेता रहे सरदार पटेल की जयंती पर देशभर में कई कार्यक्रमों की आयोजन हो रहा है। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें नमन किया है। पीएम मोदीने ने सोशल मीडिया पर लिखा, ‘देश की एकता के सूत्रधार लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल को उनकी जन्म-जयंती पर शत-शत नमन।’ सरदार पटेल की जयंती को रन फॉर यूनिटी के जरिए भी सेलिब्रेट किया जा रहा है। देश में जगह-जगह राष्ट्रीय एकता के लिए दौड़ का आयोजन किया गया है।
सरदार वल्लभ भाई पटेल (Sardar Vallabhbhai Patel) को कई नाम से जाना जाता है। उन्हें भारत का संस्थापक पिता, बिस्मार्क ऑफ इंडिया, यूनिफायर ऑफ इंडिया, आइरन मैन ऑफ इंडिया, सरदार पटेल जैसे कई नाम से लोग जानते हैं। वह के महान स्वतंत्रता सेनानी भी हैं। उनका योगदान किसी चमत्कार से कम नहीं है। सरदार पटेल ने वकालत से अपने करियर की शुरुआत करते हुए ब्रिटिश रूल के खिलाफ विरोध किया। उन्होंने भारत को बड़ा, विशाल और एक करने का अहम किरदार निभाया है।
सरदार पटेल की जयंती पर जानिए उनके कुछ अनसुने किस्से-
- सरदार पटेल का जन्मदिन 31 अक्टूबर को नहीं होता है। जी हां, ये उनका सही डेट ऑफ बर्थ नहीं है। जब वह मैट्रिक के एग्जाम देने जा रहे थे तो उनसे उनका जन्मदिन पूछा गया। इस पर उन्होंने ऐसे ही 31 अक्टूबर बताया।
- सरदार पटेल की 16 साल की उम्र में झावेरबा पटेल से 1891 में शादी हुई थी और 22 साल की उम्र में उन्होंने मैट्रिक का इम्तिहान पास किया था।
- सरदार पटेल बचपन में वकील बनना चाहते थे। वह इंग्लैंड में पढ़ना चाहते थे। लेकिन उनके परिवार के पास कॉलेज में नाम लिखवाने के लिए पैसा नहीं था। लेकिन बाद में वह इंग्लैंड गए और इससे पहले गोधरा, बोरसाड और आणंद में वकालत की।
- सरदार पटेल 36 साल की उम्र में लॉ पढ़ने के इंग्लैंड गए और लंदन के इंस कोर्ट के मिडल टेंपल में दाखिला लिया। उन्होंने 36 महीने का कोर्स 30 महीने में पूरा करते हुए टॉपर बने।
- 1909 में उनकी पत्नी झावेरबा कैंसर की बीमारी के चलते अस्पताल में भर्ती थी। सफल सर्जरी के बाद भी उनकी मौत हो गई। अपनी पत्नी के निधन के बारे में जानने के बाद भी वह कोर्ट में उन्होंने केस लड़ा।
- सरदार पटेल कोई नेता नहीं बनना चाहते थे, लेकिन अपने दोस्तों के कहने पर उन्होंने 1917 में अहमदाबाद नगर निगम का चुनाव लड़ा और जीता।
- सरदार पटेल शुरुआती दिनों में महात्मा गांधी की विचारधारा को नहीं मानते थे। लेकिन जब गांधी ने किसानों के हक लिए नील विद्रोह किया, तो सरदार पटेल उनसे प्रेरित हुए और 1917 में उनसे लगातार मुलाकात की। इसके बाद सरदार पटेल ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारत स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हुए।
- जलियावालां बाग हत्याकांड के बाद गांधी ने असहयोग आंदोलन की शुरुआत की और सरदार पटेल ने उन्हें सपोर्ट किया। सरदार पटेल ने अहमदाबाद में जगह-जगह विदेश कपड़े जलाने के लिए आग जलाने का इंतेजाम किया। इस आग में उन्होंने अपने इंग्लिश कपड़ों को भी जला दिया और इसके बाद से ही खादी कपड़े पहनने लगे।
- 1932 में जब लंदन में गोलमेज सम्मेलन असफल हो गया, तब सरदार पटेल महात्मा गांधी के साथ यरवडा जेल में रहे। उस दौरान सरदार पटेल महात्मा गांधी के राइट हैंड बन चुके थे। दोनों को जुलाई 1934 में रिहाई मिली। इस वक्त के दौरान गांधीजी ने सरदार पटेल को संस्कृत सिखाई।
- जिस तरह 1860 में ओट्टो वोन बिस्मार्क ने जर्मनी को एकीकृत किया, ठीक उसी तरह सरदार पटेल ने भारत को एक किया। उन्होंने 562 छोटी बड़ी रियासतों और रजवाड़ों का भारत में विलय करवाया। इस दौरान सरदार पटेल पहले इंडियन आर्म्ड फोर्स के कमांडा इन चीफ थे।
- सरदार पटेल ने देश के लिए अतुलनीय योगदान दिया लेकिन कई दशको बाद उन्हें साल 1991 में देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
- साल 2014 में भारत में सरकार ने देश में 31 अक्टूबर को नेशनल यूनिटी डे यानी राष्ट्रीय एकता दिवस मनाने की घोषणा की गई। इसके बाद से हर साल आज के दिन को सेलिब्रेट किया जाता है।
- साल 2018 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरदार पटेल के सम्मान में दुनिया की सबसे ऊंची स्टैच्यू का अनावरण किया। ये स्टैच्यू ब्रोंज से बनी हुई है और इसका डिजाइन पॉपुलर मूर्तिकार राम वी. सुतार ने तैयार किया है।
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