लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल (Vallabhbhai Patel) की ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ (Statue of Unity) बन कर तैयार हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात में इसका अनावरण किया। सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा इनके लौह विचारों की तरह अडिग है। ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ ने चीन, अमेरिका, रूस, जापान, ब्राजील जैसे देशों को पीछे छोड़ दिया है। आज एक नहीं कई विश्व रिकॉर्ड बने हैं। इतना ही नहीं ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ की कई खास बाते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि भूकंप और तेज तूफान भी इसे डगमगा नहीं सकता है। इसकी आधारशीला गुजरात के तत्काली मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने 31 अक्टूबर, 2013 को 138 वीं वर्षगांठ पर रखी थी। जबकि इसकी घोषणा सिविक इलेक्शन 2010 के दौरान की गई थी।
31 अक्टूबर 1875 को सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म हुआ। इसे हम राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाते हैं। आज इस मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी ने इसके जरिए बहुत बड़ा संदेश दिया है। दुनिया इस दिन को याद रखेगी। हमनें विश्व स्तर पर मिसाल कायम की है। ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ को बनाने का सपना भारतीय जनता पार्टी ने साकार किया है। देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने देश के लिए योगदान दिए। इन्होंने आरएसएस जैसी संस्थान को बैन तक कर दिया था। फिर भी हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरदार वल्लभ भाई पटेल को हमेशा खुद के साथ जोड़े रखते हैं। राजनीति से लेकर कई मायने में बहुत जरूरी है।
पीएम श्री नरेन्द्र मोदी 31 अक्टूबर 2018 को सुबह 9 बजे केवडिया, गुजरात में आधुनिक भारत के शिल्पी, भारत रत्न लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल को समर्पित विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा #StatueOfUnity का लोकार्पण करेंगे। लाइव देखें https://t.co/vpP0MInUi4 और https://t.co/jtwD1z6SKE पर। pic.twitter.com/G1fzJYj2Z5
— BJP (@BJP4India) October 30, 2018
टूटे इतने सार वर्ल्ड रिकॉर्ड
-इससे पहेल 153 मीटर ऊंची ‘स्प्रिंग टेंपल ऑफ बुद्धा’ विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा थी। मगर अब 182 मीटर ऊंची ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ ने इसे पीछे छोड़ दिया है।
-चीन ने ‘स्प्रिंग टेंपल ऑफ बुद्धा’ बनाने में 11 साल लगाए थे जबकि ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ 3 साल 6 माह में तीन हजार सैनिक और मजदूरों ने मिलकर बनाया।
-अमेरिका के ‘स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी’ के मुकाबले ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ दोगुनी ऊंची है।
-जापान के ‘उशिकी दायबस्तू’ 120 मीटर, रूस की ‘होमलैंड मदर’ 85 मीटर और ब्राजील की ‘क्राइस्ट द रिडीमर’ 38 मीटर ऊंची है।
-इस तरह आज हमनें ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के जरिए पांच बड़े और सशक्त देशों को पीछे छोड़ दिया है।
‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ की खास बातें
-इसमें रेनफॉर्सड सिमेंट, स्टील और कांस्य की तीन परत चढ़ी है।
-सबसे खास बात यह है कि मूर्ति में कांसे की पतर होने के कारण कभी जंग नहीं लगेगी।
-इसके अलावा 60 मीटर के तेज हवा और भूंकप में भी मूर्ति गिर नहीं पाएगी।
-यह मूर्ति पूरी तरह मेड इन इंडिया है। राहुल गांधी ने जब मेड इन चाइना का आरोप लगाया था बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने इसे नकार दिया था।
-यह प्रतिमा नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बांध से 3.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
– ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ 19 दिसंबर, 2015 को शुरू हुआ था।
-पद्श्री और पद्म विभूषण से सम्मानित मूर्तिकार राम वी. सुतार ने इसकी कायाकल्प को तैयार किया।
-इसे बनाने के लिए आर्मी जवान के अलावा 300 इंजीनियर्स और करीब 2700 मजदूरों ने मिलकर बनाया।
-स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का कुल वजन 1700 टन है और ऊंचाई 522 फिट यानी 182 मीटर है।
-प्रतिमा के पैर की ऊंचाई 80 फिट, हाथ की ऊंचाई 70 फिट, कंधे की ऊंचाई 140 फिट और चेहरे की ऊंचाई 70 फिट है।
‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ का संदेश और फायदा
-‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के जरिए एकता का संदेश दिया गया है।
-बीजेपी सरकार का दावा है कि इससे 15 हजार आदिवासियों को नौकरी मिलेगी।
-इससे विश्वस्तरीय पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
-पर्यटन स्थल बनने के कारण इससे स्व-रोजगार में भी वृद्धि होगी।
-जबकि एक रिपोर्ट का कहना है कि इससे 75 हजार आदिवासी परिवार प्रभावित हुए हैं।
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