Sawan 2019: इस वजह से की जाती है सावन में भगवान शिव की पूजा, जानिए क्यों है ये महीना इतना पवित्र

हिंदू कैलेंडर के मुताबिक, आज से सावन (Shravan Maas) का पवित्र महीना शुरू हो गया है। हिंदू कैलेंडर में यह 5वां महीना होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं इस महीने को सावन का महीना क्यों कहा जाता है? सावन (Sawan 2019) का महीना इतना पवित्र क्यों माना जाता है?

भगवान शिव। (फोटोः फेसबुक)

हिंदू कैलेंडर के मुताबिक, आज से सावन का पवित्र महीना (Shravan Maas) शुरू हो गया है। हिंदू कैलेंडर में यह 5वां महीना होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं इस महीने को सावन का महीना क्यों कहा जाता है? सावन का महीना इतना पवित्र क्यों माना जाता है? आखिरी इसी महीने में ही भगवान शिव की पूजा क्यों की जाती है। नहीं! तो यहां हम आपको बताते हैं।

माना जाता है कि इस महीने के दौरान पूर्णिमा होती है यानी पूरा चांद दिखाई देता है। इस दौरान श्रवण नक्षत्र या तारें आसमान पर राज करते हैं और इस नक्षत्र के नाम से ही इस महीने का नाम रखा गया है। श्रवण मास में शिवभक्त भगवान शिव को पत्र, फुल और फल शिवलिंग पर चढ़ाते हैं।

सावन का महीना इसलिए किया जाता है सेलिब्रेट
सावन (Sawan 2019) का महीना एक त्यौहार की तरह सेलिब्रेट किया जाता है। यह हर धार्मिक अनुष्ठान करने के लिए सही वक्त होता है। किसी भी शुभ काम की शुरूआत के लिए इस महीने को सही माना जाता है। श्रवण मास में भगवान शिव का राज होता है। श्रवण सोमवार को सभी शिवमंदिरो में धरनात्रा शिवलिंग के ऊपर लटकाया जाता है। इससे शिवलिंग पर हर दिन और हर रात दूध और पानी चढ़ता रहता है। श्रवण सोमवार को सूर्योदय से पहले से लेकर सूर्यास्त तक फास्ट यानी व्रत रखना होता है। भगवान शिव इस महीने में मन से पूजा करने वालों से बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं।

सावन में हुआ समुद्र मंथन
आप सभी को समुद्र मंथन (Samudra Manthan) तो याद होगा। जी, हां। पुराणों का बहुत ही इम्पोर्टेंट चैप्टर है। समुद्र में देवता और असुर अमृत के लिए मंथन सावन के महीने में ही करते हैं। इस दौरान 14 अलग-अलग प्रकार के चीजें समुद्र से निकलीं। 13 चीजें का बंटवारा तो देवताओं और असुरों के बीच हो गया, लेकिन 14वीं चीज को कोई छू भी नहीं सका क्योंकि यह एक जहर था और ये पूरी दुनिया तबाह कर सकता था। भगवान शिव ने इस 14वीं चीज हालाहल को पी लिया और अपने गले में रोक लिया। इस वजह से उनके गले का रंग नीला हो गया और उन्हें नीलकंठ नाम दिया गया।

इसकी वजह से भगवान शिव (Lord Shiva) ने अपने माथे पर पर अर्ध चंद्र को पर उतार लिया और जहर असर रोकने के लिए देवाताओं ने गंगा के पवित्र पानी को उन पर फेंकना शुरू किया। ये सभी घटना सावन के महीने में हुआ। इसके बाद से माना जाने लगा की भगवान शिव को इस महीने में गंगा जल चढ़ाना चाहिए।

सावन में शिव की भक्ति में डूबे खेसारी लाल यादव

वीडियो में देखिए ग्रहण के दौरान क्या ना करें…

रमेश कुमार :जाकिर हुसैन कॉलेज (डीयू) से बीए (हॉनर्स) पॉलिटिकल साइंस में डिग्री लेने के बाद रामजस कॉलेज में दाखिला लिया और डिपार्टमेंट ऑफ पॉलिटकल साइंस में पढ़ाई की। इसके बाद आईआईएमसी दिल्ली।