Makar Sankranti 2019: सूर्य के चाल परिवर्तन से ऐसी होती है ग्रहों की दशा, जानिए वैज्ञानिक कारण!

Makar Sankranti 2019: हर साल 14 जनवरी को मकर संक्रांति (Makar Sankranti) का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। क्या आप इस त्योहार का वैज्ञानिक महत्व जानते हैं?

मकर संक्रांति का वैज्ञानिक महत्व जानकर आप हैरान रह जाएंगे।

Makar Sankranti 2019: इस साल 14 जनवरी यानी मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के त्योहार वाले दिन से प्रयागराज में कुंभ मेला शुरू होने जा रहा है। 50 दिनों तक चलने वाले अर्द्धकुंभ के दौरान इस बार 6 शाही स्नान (मकर संक्रांति, पौष पूर्णिमा, मौनी अमावस्या, बसंत पंचमी, माघी पूर्णिमा और महाशिवरात्रि) होंगे। मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। आज हम आपको बताते हैं सूर्य का चाल परिवर्तन से कैसा प्रभाव पड़ता है और इसका वैज्ञानिक कारण क्या है?

सूर्य को सभी ग्रहों का देवता माना जाता है। सूर्य सभी 12 राशियों को प्रभावित करते हैं, लेकिन कर्क व मकर राशियों में सूर्य का प्रवेश लाभदायक माना जाता है। प्राचीनकाल से ही मकर संक्रांति के दिन को बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन से सभी शुभ कार्य प्रारंभ होते हैं। मकर संक्रांति के वैज्ञानिक महत्व की बात करें तो इस अवधि में सभी नदियों में वाष्पन क्रिया होती है। इस क्रिया को तमाम तरह के रोग दूर करने में सहायक माना जाता है। लिहाजा इस दिन नदियों में स्नान आदि करने के लिए कहा जाता है ताकि आप रोगों से दूर रहे अथवा शारीरिक तौर पर आपकी दुर्बलता का नाश हो।

मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ के सेवन का महत्व

इस दिन तिल और गुड़ का सेवन भी किया जाता है। दरअसल इसके पीछे भी वैज्ञानिक महत्व है। मकर संक्रांति के समय उत्तर भारत के ज्यादातर हिस्से में कड़ाके की ठंड पड़ती है और शरीर को ऊर्जा और सुरक्षा प्रदान करने में तिल और गुड़ काफी फायदेमंद होता है। वहीं उत्तर भारत के अधिकतर राज्यों में इस दिन भोजन में खिचड़ी ग्रहण करने का भी प्रचलन है। दरअसल इसका भी एक वैज्ञानिक कारण है। आलू, मटर और अदरक मिली खिचड़ी खाने को लेकर माना जाता है कि यह हमारे शरीर में रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है।

सूर्य के उत्तरायण होने पर दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं

शीत लहर में आपके शरीर को बीमारियों से बचाने में खिचड़ी अत्यंत लाभदायक होती है। वहीं सूर्य के उत्तरायण होने पर दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं। सूर्य के उत्तरायण से मतलब है कि पृथ्‍वी का उत्तरी गोलार्द्ध सूर्य की ओर मुड़ जाता है। अधिक रोशनी को ऊर्जा का स्त्रोत माना गया है, लिहाजा जितना कम अंधकार होगा उतना ही कम नकारात्मकता का वास होगा। प्रकाश में बढ़ोतरी होने की वजह से मनुष्य की शक्ति में भी वृद्धि होती है। ऐसा माना जाता है कि इन्हीं सब कारणों की वजह से इस अवधि में मनुष्य बहुत कम बीमार होता है।

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राहुल सिंह :उत्तराखंड के छोटे से शहर हल्द्वानी से ताल्लुक रखता हूं। वैसे लिखने को बहुत कुछ है अपने बारे में, लेकिन यहां शब्दों की सीमा तय है। पत्रकारिता का छात्र रहा हूं। सीख रहा हूं और हमेशा सीखता रहूंगा।