Sharad Purnima 2019: शरद पूर्णिमा के दिन ऐसे करें मां लक्ष्मी का पूजन, यहां जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि

शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima 2019) आने वाली इस रविवार यानि 13 अक्टूबर को है। इस पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा और कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है इस दिन आसमान से अमृत की वर्षा होती है इसलिए आकाश के नीचे खीर (Kheer) बनाकर रखने की परंपरा है।

इस बार 13 अक्टूबर को है शरद पूर्णिमा (फोटो-सोशल मीडिया)

शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) या आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा या कोजागरी पूर्णिमा (Kojagiri or Kojagara Purnima) भी कहते हैं। वैसे तो पूर्णिमा हर महीने होती है लेकिन शरद पूर्णिमा का अपना ही विशेष महत्व है। मान्‍यता है कि शरद पूर्णिमा का व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। कहा जाता है कि यही वो दिन है जब चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से युक्‍त होकर धरती पर अमृत की वर्षा करता है। इस दिन चंद्रमा की किरणें अमृतमयी गुणों से युक्त होती हैं, जो कई बीमारियों को खत्म कर देती हैं। शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा, माता लक्ष्‍मी (Laxmi Puja) और विष्‍णु जी की पूजा की जाती है। साथ ही शरद पूर्णिमा की रात खीर (Sharad Purnima Kheer) बनाकर उसे आकाश के नीचे रखा जाता है और सुबह प्रात काल में उसका सेवन किया जाता है। कहा जाता है कि इस खीर में अमृत होता है और यह कई रोगों को दूर करता है।

कब है शरद पूर्णिमा ?

शरद पूर्णिमा का ये पावन त्यौहार इस बार 13 अक्‍टूबर 2019 को है। अश्विन मास के शुक्‍ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा मनाई जाती है जोकि इस बार आने वाले रविवार को पड़ रही है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार यह हर साल अक्‍टूबर के महीने में आती है।

शरद पूर्णिमा की तिथ‍ि और शुभ मुहूर्त

तिथि: रविवार 13 अक्‍टूबर 2019
पूर्णिमा प्रारंभ: 13 अक्‍टूबर की रात 12 बजकर 36 मिनट से
पूर्णिमा समाप्‍त: 14 अक्‍टूबर की रात 02 बजकर 38 मिनट तक
चंद्रोदय का समय: 13 अक्‍टूबर 2019 की शाम 05 बजकर 26 मिनट

शरद पूर्णिमा की पूजा विधि

शरद पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर स्‍नान करने के बाद व्रत करें
मंदिर में घी का दीपक जलाएं
इसके बाद ईष्‍ट देवता की पूजा करें
फिर भगवान इंद्र और माता लक्ष्‍मी की पूजा करें
रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्‍य देकर प्रसाद चढ़ाएं और आारती करें
सुबह के समय अपने परिजनों को खीर का प्रसाद बांटें

शरद पूर्णिमा का प्रसाद कैसे बनाएं?

शरद पूर्णिमा के दिन खीर का विशेष महत्‍व है। कहा जाता है कि इस दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं ये युक्‍त होकर रात 12 बजे धरती पर अमृत की वर्षा करता है। शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय के समय आकाश के नीचे खीर बनाकर रखी जाती है। इस खीर को सुबह के समय खाया जाता है। एक मोटे तले वाले बर्तन में दूध गर्म करें। जब तक दूध घटकर तीन चौथाई न रह जाए तब उसमें थोड़े से चावल डालें। अब करछी से दूध को हिलाते रहें ताकि चावल नीचे न लगे। जब चावल अच्‍छी तरह पक जाएं तब स्‍वादानुसार चीनी डालें। करछी से खीर हिलाने के बाद अब इसमें कुटी हुई हरी इलायची या इलायची पाउडर डालें। अब काजू, बादाम, किशमिश, चिरौंजी और पिस्‍ते कूटकर डालें. साथ ही केसर भी डालें। खीर को अच्‍छी तरह मिलाएं. अगर खीर गाढ़ी हो गई हो तो गैस बंद कर दें। खीर को बारीक कटे काजू-बादाम से सजाकर परोसें।

खीर रखे जानें का कारण

शरद पूर्णिमा की रात को लोग घरों की छतों पर खीर रखते हैं, इससे चंद्रमा की किरणें (रात 9 से 12 बजे के बीच) उस खीर के संपर्क में आती हैं। इस खीर को खाने से ‍शरीर को विशेष ऊर्जा मिलती है।

शरद पूर्णिमा की मान्यता

ऐसी मान्यता है इस दिन माता लक्ष्मी रात में यह देखने के लिए घूमती हैं कि कौन जाग रहा है। जो जाग रहा होता है, महालक्ष्मी उसका कल्याण करती हैं। शरद पूर्णिमा को रासलीला की रात भी कहते हैं। धर्म शास्त्रों के अनुसार इसी दिन श्रीकृष्ण ने गोपियों के साथ रास रचाया था। माना जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन ही मां लक्ष्‍मी का जन्‍म हुआ था। इस वजह से देश के कई हिस्‍सों में इस दिन मां लक्ष्‍मी की पूजा की जाती है, जिसे ‘कोजागरी लक्ष्‍मी पूजा’ के नाम से जाना जाता है।

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तृप्ति शर्मा :दो साल से मीडिया जगत में काम कर रही हूं। हर दिन कुछ नया करने की जिद है। वीडियो एडिटिंग के साथ ही फिल्मी खबरें लिखना मुझे बहुत अच्छा लगता है। कुछ और बेहतर होगा इसी उम्मीद के साथ मैं हिन्दी रश डॉट कॉम के साथ जुड़ी हूं।