दिल्ली कांग्रेस की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित (Sheila Dixit Political Career) का निधन हो गया। वह 81 साल की थी। वह लगातार 3 बार (1998 से 2015 तक) दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं। वह दिल्ली की दूसरी महिला मुख्यमंत्री थी। शीला दीक्षित ने दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस से मास्टर डिग्री ली। उन्हें दिल्ली विश्वविद्यालय डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित भी किया। आपको बता दें कि शीला दीक्षित पंजाब के कपूरथला की रहने वाली थीं। उनका जन्म 31 मार्च 1938 को हुआ।
शीला दीक्षित ने उन्नाव के रहने वाले कांग्रेस नेता उमाशंकर सिंह के बेट विनोद दीक्षित से शादी की। विनोद दीक्षित और शीला दीक्षित की मुलाकात यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान ही हुई। विनोद दीक्षित आईएस ऑफिसर थे। शीला दीक्षित के ससुर तात्कालिक प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार में गृहमंत्री भी थे। शीला दीक्षित के पति (Sheila Dixit Husband) का निधन ट्रेन में सफर के दौरान हार्ट अटैक आने से हो गई। साल 1991 में उनके ससुर की भी मौत हो गई। हालांकि इससे पहले ही वह राजनीति में सक्रिय हो गई। पति और ससुर की मौत के बाद वह अपने दोनों बच्चों संदीप दीक्षित और लतिका सईद को लेकर दिल्ली आ गईं।
दिल्ली में दिलाई कांग्रेस को लगातार 3 बार जीत
शीला दीक्षित 1984 से 1989 तक उत्तर प्रदेश के कन्नौज लोकसभा सीट से सांसद रहीं। इस दौरान संयुक्त राष्ट्र आयोग में महिलाओं की स्थिति पर भारत का नेतृत्व भी किया। वह संसदीय मामलों की पहली राज्यमंत्री भी बनीं और इसके बाद उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री का पदभार भी संभाला। इसके बाद उन्हें दिल्ली कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया। साल 1998 में उन्हीं के नेतृत्व में कांग्रेस दिल्ली विधानसभा का चुनाव जीता। इसके बाद वह लगातार 15 दिल्ली की मुख्यमंत्री बनी रही।
केरल की राज्यपाल बनी
साल 2013 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को आम आदमी पार्टी से करारी हार का सामना करना पड़ा। जिसके बाद शीला दीक्षित को दिल्ली का मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा और दिल्ली को नया मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) मिले। ऐसा नहीं है, 2013 के विधानसभा चुनाव में हार के बाद शीक्षा दीक्षित को राजनीति से पीछे हटीं। दिल्ली के बाद वह केरल की राजनीति में पहुंच गई। उन्हें केंद्र सरकार केरल का राज्यपाल बनाया। वह 4 मार्च 2014 को केरल की राज्यपाल नियुक्त हुई, लेकिन वह इस पद पर लंबे वक्त तक नहीं रहीं। उन्होंने 26 अगस्त को 2014 को राज्यपाल पद से इस्तीफा दे दिया और वापिस कांग्रेस में सक्रिय भूमिका निभाने लगी।
कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव 2019 में जताया भरोसा
इस साल मई में लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Election 2019) से पहले कांग्रेस ने उन पर भरोसा जताया और उन्हें दिल्ली कांग्रेस प्रदेश का अध्यक्ष बनाया गया। कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर रहते हुए उन्होंने दिल्ली की पूर्वी-उत्तर लोकसभा क्षेत्र से भाजपा सांसद मनोज तिवारी (Manoj Tiwari) के खिलाफ चुनाव लड़ा। हालांकि वे इस चुनाव में हार गई। लेकिन कांग्रेस को उन पर अब भी उम्मीद थी। शीला दीक्षित दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष पर बनी हुई रहीं। आज उनके निधन से दिल्ली कांग्रेस का पद फिर खाली हो गया है।
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