अयोध्या विवाद (Ayodhya case) पर सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई की। सोमवार को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या केस को अगले साल तक टाल दिया है। कोर्ट ने कहा है कि इस मामले को लेकर नए साल पर सुनवाई की जाएगी। इस दौरान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई ने कहा कि जनवरी 2019 में अगली सुनवाई की डेट निर्धारित की होगी। ऐसे मामलों को लेकर कोर्ट जल्दबाजी में कोई सुनवाई नहीं करेगा। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस के एम जोसफ ने इस पर सुनवाई की। राम मंदिर को लेकर हो रहे देरी के कारण हिंदू नेताओं में नाराजगी भी देखने को मिल रही है।
जानकारी के मुताबिक, इस केस को लेकर जनवरी में सुनवाई की तारीख तय होगी। इसके साथ-साथ नया बेंच इस मामले की अगली सुनवाई करेगा। अभी इन दो मुख्य बातों के बाद ही साफ हो पाएगा कि 2019 में सुनवाई कब होगी। मामला टालने के पीछे भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस को जिम्मेदार ठहरा रही है। सुप्रीम कोर्ट के वकील कपिल सिब्बल ने भी कहा कि इस मामले को टाल देना चाहिए। सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है कि इसको लेकर दिसंबर में एक बैठक की जानी चाहिए। वैसे कांग्रेस के नेता या वकील तो इस मुद्दे को लटकाए रखना चाहते हैं। देखना है कि कांग्रेस इस पर क्या प्रतिक्रिया देती है। गिरिराज सिंह ने कहा है कि नेहरु चाहते तो राम मंदिर पहले ही बन गया होता। अब मुझे इस मामले की देरी को लेकर भय हो रहा है।
इलाहाबाद कोर्ट का फैसला
राम जन्मभूमि के बंटवारे पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के खिलाफ याचिका दायर की गई थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई 30 सितंबर 2010 को सुनवाई किया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2.77 एकड़ जमीन को तीन हिस्सों में बांटा था। रामलला, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड को बंटवारा कर के फैसला सुनाया था। इसके बाद हिंदू महासभा और सुन्नी वक्फ बोर्ड ने याचिका दायर की थी। हालांकि इस मसले को लेकर पूर्व सीजेआई दीपक मिश्रा ने भी सुनवाई की थी। उनके कार्यकाल में संभावना जताई जा रही थी कि वे इस मामले पर फैसला सुना कर जाएंगे। लेकिन वह अक्टूबर में ही रिटायर हो गए। अब देखना है कि मौजूदा सीजेआई अगली सुनवाई में क्या करते हैं।
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