शिक्षक दिवस हर साल 5 सितंबर को भारत भर में मनाया जाता है, जोकि पूर्व राष्ट्रपति, शिक्षक और विद्वान डॉ सर्वेपल्लि राधाकृष्णन का जन्मदिन भी है। पूर्व राष्ट्रपति का जन्म 1882 में आंध्र प्रदेश के तिरूतनी ग्राम में तेलुगू ब्राह्मण परिवार में हुआ था। अपने समय के एक उच्च शिक्षित व्यक्ति, डॉ. राधाकृष्णन ने मद्रास विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में डिग्री हासिल की| इसके बाद उन्होंने मैसूर विश्वविद्यालय और कलकत्ता विश्वविद्यालय में पढ़ाया।
ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी में मिला था जॉब ऑफर
डॉ सर्वेपल्लि राधाकृष्णन आंध्र विश्वविद्यालय के साथ-साथ बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में कुलपति के रूप में कार्य किया। इन सभी उपलब्धियों के बाद, उन्हें पूर्वी धर्म के स्पैल्डिंग प्रोफेसर की अध्यक्षता करने के लिए ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में भी आमंत्रित भी किया गया था।
ऐसे शुरू हुआ टीचर्स डे
डॉ. राधाकृष्णन को हमारे देश के राष्ट्रपति के रूप में चुना गया था| तभी बहुत से लोगों ने उनका जन्मदिन मनाने का अनुरोध किया था| लेकिन, डॉ राधाकृष्णन नहीं चाहते थे कि उनका जन्मदिन मनाया जाए| उनका मानना था कि यदि उनके जन्मदिन को भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जा सके तो वो उनके लिए बहुत ही बड़े सम्मान की बात होगी | उनका कहना था इस तरह से शिक्षकों और उनके द्वारा किए गए सभी कार्यों का सम्मान किया जा सकेगा|
11 बार नोबेल पुरस्कार के लिए हुए थे नॉमिनेट
डॉ राधाकृष्णन एक अचीवर थे वो युवाओं के लिए एक प्रेरणा थे| उन्हें 1931 में भारत रत्न और नाइटहुड जैसे कई अन्य नागरिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इतना ही नहीं, उन्हें उनके पूरे जीवनकाल में नोबेल शांति पुरस्कार के लिए ग्यारह बार नॉमिनेट किया गया था।
छात्रों से था प्यार
उन्हें अपने छात्रों से बहुत प्यार था| एक अद्भुत, संवादात्मक और योग्य शिक्षक होने के लिए उन्हें जाना जाता था। वह हमेशा मदद करने के लिए तैयार रहते और अपने छात्रों के साथ बने रहते| उनकी जयंती पर शिक्षक दिवस मनाने जैसा काम करने से बेहतर क्या हो सकता है|
ऐसे मनाया जाता है शिक्षक दिवस
शिक्षक दिवस पूरे भारत में बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। छात्र शिक्षकों के लिए कार्ड बनाते हैं, उपहार देते हैं और उनकी अनिवार्य भूमिका के लिए धन्यवाद देते हैं। हर व्यक्ति यह स्वीकार करता है कि शिक्षक कैसे छात्रों के जीवन को आकार देता है और हमें उनके प्रति आभारी होना चाहिए।