सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) से बर्खास्त किए जा चुके जवान तेज बहादुर यादव ने लोकसभा चुनाव में वाराणसी से पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ ताल ठोकने की बात कहकर सनसनी फैला दी थी। तेज बहादुर के ऐलान के बाद समाजवादी पार्टी (सपा) ने बनारस की चुनावी रणनीति में तब्दीली की और पूर्व बीएसएफ जवान को टिकट देकर विपक्षी दलों के माथे पर शिकन पैदा कर दी। अब खबर मिली है कि चुनाव आयोग ने तेज बहादुर का नामांकन खारिज कर दिया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, तेज बहादुर यादव ने दो नामांकन पत्र भरे थे। पहला नामांकन पत्र उन्होंने 24 अप्रैल को बतौर निर्दलीय उम्मीदवार भरा था। जिसके बाद सपा-बसपा गठबंधन ने तेज बहादुर को अपना उम्मीदवार घोषित किया। इसके बाद फिर उन्होंने 29 अप्रैल को सपा-बसपा प्रत्याशी के तौर पर नामांकन दाखिल किया।
30 अप्रैल को तेज बहादुर को जिला निर्वाचन अधिकारी ने पहला नोटिस जारी कर बीएसएफ से वह पत्र लाने को कहा जिससे साफ हो पाए कि उन्हें बर्खास्त क्यों किया गया था। हालांकि इसमें दर्ज तारीख को लेकर भी चुनाव आयोग की किरकिरी हुई। इस नोटिस में साल 2019 के बजाय 2109 दर्ज कर दिया गया था। जिसके बाद आयोग ने उसे ‘क्लेरिकल मिस्टेक’ बताते हुए दूसरा नोटिस जारी किया।
तेज बहादुर ने दावा किया कि बीएसएफ की ओर से मिले पत्र को जिला निर्वाचन कार्यालय में समय रहते दाखिल करवा दिया गया था, इसके बावजूद उनका नामांकन रद्द कर दिया गया। तेज बहादुर यादव ने नामांकन खारिज होने के कुछ देर बाद मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, ‘मुझसे कल 6.15 बजे तक सबूत सौंपने को कहा गया था। हमने चुनाव आयोग को सबूत दे दिया था, फिर भी मेरा नामांकन रद्द कर दिया गया। अब हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।’
बताते चलें कि कांग्रेस ने पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ अजय राय को मैदान में उतारा है। दूसरी ओर हाल ही में कांग्रेस छोड़ समाजवादी पार्टी में शामिल हुईं शालिनी यादव ने भी पर्चा दाखिल किया है। वाराणसी लोकसभा सीट पर कुल 101 नामांकन दाखिल किए गए, जिसमें से चुनाव आयोग ने 71 नामांकनों को खारिज किया है। बनारस के मौजूदा सांसद पीएम मोदी ने 26 अप्रैल को नामांकन दाखिल किया था। गौरतलब है कि तेज बहादुर यादव को अगर सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिलती है तो सपा-बसपा गठबंधन शालिनी यादव के तौर पर पीएम मोदी की मुश्किलें बढ़ाएगा।
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