तीन तलाक बोला, तो अब मिलेगी जेल की सजा, राज्यसभा में मोदी सरकार का ऐतिहासिक बिल पास

तीन तलाक बिल (Triple Talaq Bill) पर मोदी सरकार (Narendra Modi Government) को ऐतिहासिक कामयाबी मिली है। मंगलवार को यह बिल राज्यसभा से भी पास हो गया। अब इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा।

तीन तलाक बिल राज्यसभा से भी पास हो गया है। (फोटो- ट्विटर)

नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi Government) के लिए मंगलवार का दिन बड़ी कामयाबी लेकर आया। मोदी सरकार का ऐतिहासिक तीन तलाक बिल (Triple Talaq Bill) राज्यसभा से भी पास हो गया। अब इस बिल को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास भेजा जाएगा, राष्ट्रपति के दस्तखत के बाद यह बिल कानून की शक्ल अख्तियार कर लेगा। यानी साफ है कि अब तीन तलाक बोलने वालों को जेल की हवा खानी पड़ेगी।

मंगलवार को राज्यसभा में तीन तलाक बिल के पक्ष में वोटिंग हुई। बिल के पक्ष में 99 वोट और विपक्ष में 84 वोट पड़े। राज्यसभा में इससे पहले इस बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने के प्रस्ताव को लेकर भी वोटिंग हुई। वोटिंग में यह प्रस्ताव गिर गया।

ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की पार्टी बीजेडी ने तीन तलाक बिल का समर्थन किया। दूसरी ओर टीआरएस, जेडीयू, एआईएडीएमके ने सदन से वॉकआउट किया और बीएसपी और पीडीपी ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। विपक्षी एकता के बिखराव का फायदा मोदी सरकार को हुआ और यह बिल राज्यसभा से भी पास हो गया।

पीएम नरेंद्र मोदी ने तीन तलाक बिल के पास होने पर मुस्लिम महिलाओं को बधाई दी। पीएम ने ट्वीट किया, ‘पूरे देश के लिए आज एक ऐतिहासिक दिन है। आज करोड़ों मुस्लिम माताओं-बहनों की जीत हुई है और उन्हें सम्मान से जीने का हक मिला है। सदियों से तीन तलाक की कुप्रथा से पीड़ित मुस्लिम महिलाओं को आज न्याय मिला है। इस ऐतिहासिक मौके पर मैं सभी सांसदों का आभार व्यक्त करता हूं।’

तीन तलाक बोलने वालों के साथ अब क्या होगा?

मोदी सरकार के ऐतिहासिक तीन तलाक बिल में तलाक-ए-बिद्दत यानी तीन तलाक देना अपराध की श्रेणी में रखा गया है। अब तीन तलाक देना गैनकानूनी होगा। इससे जुड़े मामलों में पुलिस बगैर वॉरंट आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है। इसमें तीन साल की सजा का प्रावधान है। मजिस्ट्रेट को आरोपी को जमानत देने का अधिकार होगा। बेल तभी हो सकेगी जब मजिस्ट्रेट पीड़ित महिला का पक्ष सुनेंगे और अगर वह आरोपी की जमानत को न्यायसंगत पाते हैं तो वह जमानत दे सकते हैं। मजिस्ट्रेट पीड़ित महिला की गुजारिश पर समझौते की इजाजत भी दे सकते हैं। पीड़िता अब गुजारा भत्ते के लिए दावा कर सकती है।

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राहुल सिंह :उत्तराखंड के छोटे से शहर हल्द्वानी से ताल्लुक रखता हूं। वैसे लिखने को बहुत कुछ है अपने बारे में, लेकिन यहां शब्दों की सीमा तय है। पत्रकारिता का छात्र रहा हूं। सीख रहा हूं और हमेशा सीखता रहूंगा।