वर्तमान में राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाला भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) के अध्यक्ष और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) आज अपना 55 वां जन्मदिन मना रहे है। अपनी जिंदगी के 55 साल के इस सफर में उन्होंने न केवल 2014 व 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अनुवाई में रिकॉर्ड तोड़ बहुमत हासिल किया बल्कि पार्टी के आलाकमान जको संभालने का काम भी भखूबी किया। साल 1964 को मुंबई के संपन्न गुजराती परिवार में जन्मे अमितशाह की मां का नाम कुसुमबेन और पिता का नाम अनिलचंद्र शाह है।
अमित शाह के जन्मदिन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित कई दिग्गज नेताओं ने शुभकामनाएं दी है। शतरंज में मात देने वाले अमित शाह राजनीति में भी उसी तरह आगे निकले और चार साल में बीजेपी को 14 राज्य दे दिए। शतरंज की तरह राजनीति में बेजोड़ चाल चलने वाले अमित शाह के आगे विपक्ष की एक नहीं चलती है। हम ये कहे कि जब से अमित शाह ने बीजेपी अध्यक्ष की कमान संभाली है, तब से पार्टी ने कई बड़े मुकाम हासिल किए। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शेयर ब्रोकर से राजनीति का शहंशाह बनने तक उनका ये सफर इतना आसान नहीं था।
पीएम नरेंद्र मोदी ने गृह मंत्री अमित शाह को दी बधाई…
आज उनके जन्मदिन के खास मौके पर उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ अनसुने किस्से…
अमित शाह 16 साल की उम्र तक अपने पैतृक गांव गुजरात के मान्सा में ही रहे और स्कूली शिक्षा हासिल की। इसके बाद जब उनका परिवार अहमदाबाद शिफ्ट हो गया, तो वो अहमदाबाद आ गए। उन्होंने अहमदाबाद से ही अपनी बीएससी की पढ़ाई की।
अहमदाबाद से बॉयोकेमिस्ट्री में बीएससी करने के बाद अमित शाह ने अपने पिता के प्लास्टिक के पाइप का कारोबार संभालने लगे। इसके बाद उन्होंने स्टॉक मार्केट में कदम रखा और शेयर ब्रोकर के रूप में काम किया।
अमित शाह ने साल 1980 में 16 वर्ष की उम्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़ गए थे और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (ABVP) के कार्यकर्ता बन गए थे। शाह अपनी कार्यकुशलता और सक्रियता के दम पर महज दो वर्ष बाद यानी 1982 में एबीवीपी की गुजरात इकाई के संयुक्त सचिव बन गए। उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से 1986 में मुलाकात हुई थी और यह मुलाकात दोस्ती में बदल गई थी।
अमित शाह साल 1987 में बीजेपी की युवा इकाई भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) में शामिल हुए और सक्रिय राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। अमित शाह को 1997 में BJYM का राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष नियुक्त किया गया और 1989 में बीजेपी अहमदाबाद शहर के सचिव बने।
अमित शाह ने राम जन्मभूमि आंदोलन में सफलतापूर्वक प्रचार-प्रसार की जिम्मेदारी निभाई। इस दौरान अमित शाह का संपर्क लालकृष्ण आडवाणी से हुआ। उस समय आडवाणी गांधीनगर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे थे। अमित शाह ने प्रथम बार से लेकर 2009 तक लगातार कई चुनावों में अडवाणी के चुनाव संयोजक की जिम्मेदारी निभाई।
अमित शाह साल 1995 में गुजरात प्रदेश वित्त निगम के अध्यक्ष बने. उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान न सिर्फ निगम को घाटे से बाहर निकाला, बल्कि इसके मुनाफे में 214 प्रतिशत तक की वृद्धि की. अमित शाह की अध्यक्षता में निगम में पहली बार पट्टा खरीद फरोख्त, कार्यशील पूंजी अवधि लोन और ट्रक ऋण की शुरुआत हुई। गुजरात प्रदेश वित्त निगम सूबे के लघु उद्योगों को टर्मलोन और वर्किंग कैपिटल प्रदान करके उनकी विकास को गति देने वाला एक महत्वपूर्ण संस्थान है।
अमित शाह 36 साल की उम्र में अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक के सबसे युवा अध्यक्ष बने। अमित शाह ने पद संभालने के एक साल के भीतर ही न सिर्फ 20.28 करोड़ का घाटा पूरा किया, बल्कि बैंक को 6.60 करोड़ रुपये के फायदे में लाकर 10 प्रतिशत फायदे का वितरण भी किया।
साल 1997 में पहली बार गुजरात के सरखेज विधानसभा से बीजेपी प्रत्याशी के तौर पर विधायक पद के लिए नामांकन भरा और भारी मतों से विजयी हुए। अमित शाह की संगठनात्मक कुशलता के कारण उन्हें 1998 में भारतीय जनता पार्टी की गुजरात इकाई का प्रदेश सचिव बनाया गया। साल 2001 में बीजेपी की राष्ट्रीय सहकारिता प्रकोष्ठ का संयोजक नियुक्त किया गया और उनके कार्यकाल के दौरान किए गए काम को इतना सराहा गया कि कुछ लोगों ने अमित शाह को सहकारिता आन्दोलन के पितामह तक की उपाधि दे डाली।
जुलाई 2014 में अमित शाह को बीजेपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया गया। वो पार्टी के सबसे युवा अध्यक्ष हैं. उनको 24 जनवरी 2016 को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में दोबारा से चुना गया और वो अभी तक इस पद पर बने हुए हैं। दूसरी बार जब मोदी सरकार लोकसभा चुनाव जीतकर केंद्र की सत्ता में आई, तो अमित शाह को केंद्रीय गृहमंत्री बनाया गया। इसके बाद उन्होंने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने जैसे कई ऐतिहासिक कदम उठाए।
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