गुरदासपुर से लोकसभा चुनाव लड़ना चाहती थीं कविता खन्ना, सनी देओल को बीजेपी का टिकट मिलने पर कही ये बात

दिवंगत अभिनेता विनोद खन्ना की पत्नी कविता खन्ना गुरदासपुर से बीजेपी के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ना चाहती थीं, लेकिन ऐन मौके पर पार्टी द्वारा सनी देओल को उम्मीदवार बनाए पर उन्होंने नाराजगी जाहिर की है।

कविता खन्ना ने गुरदासपुर से सनी देओल को बीजेपी उम्मीदवार बनाए जाने पर नाराजगी जाहिर की है। (फोटो- इंस्टाग्राम)

लोकसभा चुनाव में नेताओं का दल बदलना, बॉलीवुड हस्तियों का राजनीतिक पार्टियों का दामन थामना बड़ा आम हो चला है। मंगलवार को अभिनेता सनी देओल बीजेपी में शामिल हुए और पार्टी ने उनके स्वागत के तौर पर उन्हें गुरदासपुर से बीजेपी का उम्मीदवार घोषित कर दिया। इस सीट से 4 बार सांसद रह चुके दिवंगत अभिनेता विनोद खन्ना की पत्नी कविता खन्ना ने सनी देओल को टिकट दिए जाने पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि वह खुद को छला हुआ महसूस कर रही हैं।

कविता खन्ना पिछले काफी समय से गुरदासपुर से लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही थीं। वह लगातार क्षेत्र के लोगों के संपर्क में थीं। मंगलवार को सनी देओल के नाम का ऐलान होते ही उन्होंने नाराजगी जाहिर की। कविता खन्ना ने कहा, ‘मैं खुद के साथ धोखा महसूस कर रही हूं। क्षेत्र के जो लोग मुझे सांसद बनते हुए देखना चाहते थे, उनकी इच्छाओं को पार्टी ने अनदेखा किया है।’

निर्दलीय चुनाव लड़ने पर वह बोलीं, ‘फिलहाल मैं सभी विकल्पों पर विचार कर रही हूं। अभी तक मैं किसी भी निर्णय पर नहीं पहुंची हूं।’ बताते चलें कि 2017 में विनोद खन्ना के निधन के बाद इस सीट पर हुए उपचुनाव के समय भी कविता खन्ना बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ना चाह रही थीं, लेकिन पार्टी ने कारोबारी स्वर्ण सालारिया को मैदान में उतारा था।

कांग्रेस के सुनील जाखड़ ने उन्हें 1,93,219 वोटों के बड़े अंतर से मात दी। गौरतलब है कि विनोद खन्ना साल 1998, 1999, 2004 और 2014 में गुरदासपुर से चुनाव जीते थे। यहां के लोग अभिनेता द्वारा गांवों को जोड़ने की अनोखी पहल की वजह से उन्हें प्यार से ‘पुलों का सरदार’ बुलाते थे। बहरहाल कविता खन्ना अगर गुरदासपुर से निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरती हैं तो वह सनी देओल के संसद पहुंचने की राह को जरूर थोड़ा मुश्किल कर सकती हैं।

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राहुल सिंह :उत्तराखंड के छोटे से शहर हल्द्वानी से ताल्लुक रखता हूं। वैसे लिखने को बहुत कुछ है अपने बारे में, लेकिन यहां शब्दों की सीमा तय है। पत्रकारिता का छात्र रहा हूं। सीख रहा हूं और हमेशा सीखता रहूंगा।