Satta Matka: सट्टा मटका यह नाम आज से नहीं बल्कि दशकों से हमारे देश में प्रचलित है। भारत ही नहीं बल्कि विदेशों तक में सट्टेबाजी का काला कारोबार होता है। हमारे देश में सट्टा अवैध है लेकिन कई देशों में सट्टेबाजी को वैध भी घोषित किया गया है। सट्टेबाजी पर नकेल कसने के लिए हर राज्य में पुलिस प्रशासन लगातार धरपकड़ करता है, लेकिन फिर भी इस पर आज तक लगाम नहीं लगाई जा सकी है। जैसे-जैसे भारत में इंटरनेट का विस्तार हो रहा है, कैशलेस ट्रांजैक्शन की ओर हम आगे बढ़ रहे हैं, वैसे-वैसे देश के सट्टेबाज भी हाईटेक हो चले हैं।
पुलिस से बचने के लिए अब सट्टेबाजी का कारोबार ऑनलाइन होने लगा है। यहां पकड़े जाने का कोई डर नहीं होता है। गेम के ऑनलाइन होने के कारण पुलिस के लिए भी इसे ट्रैक करना हरगिज आसान नहीं होता है। हालांकि कई बार पुलिस मुखबिर से मिली सूचनाओं के आधार पर छापेमारी जरूर करती है। ऑनलाइन होने की वजह से अब लोगों का खासकर युवा वर्ग का रुझान भी इस अवैध कारोबार की ओर बढ़ रहा है।
अमेरिका से शुरू हुआ था सट्टा
सट्टेबाजी के इस खेल की शुरूआत अमेरिका में हुई थी। जिसके बाद यह खेल भारत में पहुंचा और धीरे-धीरे लोकप्रिय हो गया। 90 के दशक तक उत्तर भारत के कई राज्यों में लॉटरी का कारोबार काफी प्रचलित था। राज्य सरकारें भी इससे जुड़ी हुई थीं और इससे मोटा राजस्व कमाती थीं, लेकिन इसके विरोध को देखते हुए धीरे-धीरे लॉटरी व्यवस्था खत्म कर दी गई। आज कई राज्यों में लॉटरी बंद हो चुकी है, लेकिन सट्टेबाजी का स्तर व्यापक होने की वजह से इसे खत्म नहीं किया जा सका है।
कितने प्रकार का होता सट्टा मटका?
भारत के अलग-अलग राज्यों में कई तरह के सट्टा मटका खिलाए जाते हैं, लेकिन सभी का मकसद एक ही होता है, 1 रुपये को 10 रुपये में बदलना। हर राज्य में सट्टा मटके का अलग-अलग नाम रखा गया है। भारत में गुरु दिल्ली, दिल्ली किंग, इंडियन मटका, मुंबई मॉर्निंग, वर्ली सट्टा मटका, सुपर डे मटका, बॉस मटका, कुबेर मटका, कल्याण मटका, मेन मुंबई मटका, मायापुरी मटका आदि नाम से सट्टा खिलाया जाता है।
क्यों पड़ा इसका नाम सट्टा मटका?
भारत में जब इसकी शुरूआत हुई थी तो उस समय मटके (घड़े) में पर्चियों पर नंबर लिख उसमें डाली जाती थीं। इसी वजह से इसका नाम सट्टा मटका पड़ा। अमेरिका में इसकी शुरूआत उस समय से मानी जाती है जब न्यूयॉर्क कॉटन एक्सचेंज से बॉम्बे कॉटन एक्सचेंज का लिंक था। उस समय लोग कॉटन के शुरू होने और बंद होने की कीमत पर सट्टा खेलते थे। धीरे-धीरे इसको एक विस्तृत रूप दे दिया गया और सट्टेबाजी का कारोबार पूरी तरह से अंकों के खेल पर आधारित हो गया। भारत में आज भी क्रिकेट के खेल से लेकर राजनैतिक पार्टियों की जीत-हार तक सट्टा खेला जाता है।
कैसे खेला जाता है सट्टा मटके का अवैध खेल?
कई राज्यों में इसके अलग-अलग नियम हैं, लेकिन एक नियम जो सामान्यतः सभी जगह लागू होता है उसके मुताबिक, 1 से लेकर 99 अंकों में से आपको कोई एक नंबर चुनना होता है। सट्टे का नंबर ड्रा रूपी व्यवस्था से निकाला जाता है। जो अंक निकलता है, उस पर पैसे लगाने वाले व्यक्ति को 1 रुपये के 10 रुपये मिलते हैं। राज्यों के हिसाब से इस रकम में फर्क होता है। सट्टे के अंकों में देसावर, हरूफ आदि अंकों को भी तय किया गया है। जैसे अगर सट्टे का नंबर 12 निकलता है तो कई लोग पहले अंक 1 और दूसरे अंक 2 पर भी सट्टा खिलाते हैं। हालांकि इनमें मिलने वाली रकम कम होती है। इसमें 1 रुपये पर 4 से 5 रुपये तक दिए जाते हैं।
Disclaimer: इस खबर का मकसद सिर्फ आपको जानकारी देना है। ‘हिंदी रश’ सट्टेबाजी अथवा किसी भी गैरकानूनी गतिविधियों को प्रोत्साहित नहीं करता है।