जय प्रकाश शर्मा (Jai Praksh Sharma), ये नाम आज टीवी इंडस्ट्री में दूर दूर तक नहीं है मगर, गौर से देखें तो इस इंसान का चेहरा आपके ज़हन से कभी गया ही नहीं! कहते हैं कि एक्टर वही होता है जिसे लोग उसके किरदार के नाम से पहचानने लगें! जय प्रकाश शर्मा ,वही एक्टर है जिसके किरदार का नाम लेते ही आपके ज़हन में उनका चेहरा आ जाएगा! आज से 27 साल पहले जानेमाने फ़िल्म मेकर रामानंद सागर की नज़र इस शख्स पर पड़ी थी, या ये कहो कि इनकी मेहनत की चमक उनकी आंखों में चमकी थी। इस समय रामानंद सागर (Ramanand Sagar) बना रहे थे ‘श्री कृष्णा’! जी हां वही ‘श्री कृष्णा’ (Shree Krishna) जो इन दिनों लॉकडाउन के चलते दूरदर्शन पर फिर से प्रसारित किया जा रहा है! यह शो कृष्ण के जीवन से सम्बंधित कहानियों पर आधारित था। गर्ग संहिता , पद्म पुराण , ब्रह्मवैवर्त पुराण , हरिवंश पुराण , महाभारत , भागवत पुराण , भगवद् गीता आदि पर बना ये शो और इस शो का सबसे बड़ा विलन, जय प्रकाश शर्मा!
अगर आपको अब भी याद ना आया हो तो, याद कीजिये बड़ी आंखें और एक पैर से लंगड़ा कर चलने वाला ये किरदार, इस किरदार के बिना महाभारत अधूरी है! कमज़ोर याद्दाश्त वालों को बता दूँ कि ये हैं ‘श्री कृष्णा’ के शकुनी! जी हां, शकुनी मामा!
जे पी शर्मा बचपन से ही थे दिव्यांग!
- जय प्रकाश शर्मा ‘श्री कृष्णा’ शो में शकुनी के किरदार में!
हिंदीरश आपके लिए लेकर आया है इस विलन, जय प्रकाश शर्मा की ‘सुपर हीरो’ टाइप की स्टोरी। जे पी शर्मा राजस्थान के छोटे से गांव लाडनूं के रहवासी हैं। शकुनी मामा के किरदार के लिए नहीं, बल्कि बचपन में पोलियो की वो दो बूँदें ना मिलने की वजह से वो एक पैर से लाचार रहे हैं। घर की गरीबी और पैर की लाचारी ने उनके बचपन को खेलने ही नहीं दिया बल्कि, दिव्यांग होने की वजह से स्कूल के कुछ बच्चे उन्हें ना कि कम आंकते थे बल्कि उन्हें तंग करने के लिए उनका खाना छीनकर उनपर पेशाब तक कर देते थे! माहौल इतना बिगड़ा कि जे पी शर्मा ने तय कर लिया कि वो स्कूल ही नहीं जाएंगे। घर से स्कूल के नाम से निकल कर वो पास में एक कब्रिस्तान में जा बैठते थे।
वहां कोई न कोई कब्र पर कुछ खाने के लिए रख जाता और ये उससे ही अपना पेट भर लेते! फिर धीरे धीरे उन्हें ज्ञात हुआ कि योग करने से उनका पैर ठीक हो सकता है, कम से कम उतना कि वो अपने पैर को अपने हाथ के सहारे के बिना चला पाएं। फिर क्या, कब्रिस्तान में चार सालों तक यो योग करते रहे और आसपास के गांव में उन जैसे दिव्यांग लोग उनसे प्रेरित होकर उनके साथ जुड़ते रहे। योग और कसरत के अच्छे कॉम्बिनेशन से उनके पैर से उनका हाथ सदा के लिए हट गया और अब उनके पास एक अच्छी बॉडी भी थी। गांव के अन्य दिव्यांग लोगों के साथ उन्होंने कई योग प्रदर्शन किये जिसके चलते 5-10 रूपये कभी ईनाम के तौर पर मिल जाते! लेकिन, दिमाग में कीड़ा था कि मेरी आवाज़ माइक पर कैसी लगती है और इसके लिए वो गांव में हो रहे रामलीला में कई बार माइक छीन कर भरी महफ़िल में आपनी आवाज़ को बुलंद कर चुके थे, हालांकि इसके बाद उन्हें धक्के मार कर बाहर कर दिया जाता! गांव के कुछ लोग कहते थे, ‘यार महाभारत में शकुनी मामा भी तेरे जैसे चलता है।’ बस यहीं से सूझा मुंबई जाकर एक्टिंग का सफ़र!
पृथ्वी थिएटर, भाषा की पकड़ और फिर एक उड़ान की तैयारी!
- जय प्रकाश शर्मा एक नाटक के दौरान
शकुनी मामा उर्फ़ जे पी शर्मा ने कहा, “फ़िल्म लाइन में जाने के तीन साधन है, एक पैसा जिससे आप कुछ भी बनाए लोग देखेंगे ही और नहीं देखेंगे तो कोई फर्क नहीं है, दूसरा पर्सनालिटी अच्छी हो, लम्बा कद गोरा चिट्टा मुख, तीसरा आपकी किस्मत …जैसे आप सड़क पर चल रहे हैं और डायरेक्टर की नज़र आप पर पड़ गई हैं। पर मुझे लगा टैलेंट भी कुछ है… और इसके लिए लगा हिंदी नाटक सही रहेगा! पृथ्वी थिएटर गया, सुना था कि वहां नाटक हो गया तो आपकी फ़िल्मी करियर में एंट्री पक्की है। फिर अखबार में एक ऐड देखा कि हिंदी नाटक में एक्टर चाहिए, मैं परेल गया और उन्होंने कहा पृथ्वी थिएटर में एक शो होने वाला है। वहां कुछ लोग मिले जिन्होंने हिंदी की समझ दी।
पृथ्वी थिएटर में एक्टर की प्रॉपर्टी लगाया करता था। अब मुझे रोल मिल गया था! और अब यहां जब कोई एक्टर नहीं आता था तो मैं उसके डायलॉग बोल दिया करता था। ऐसे में एक बार मुझे नाटक में जज बना दिया गया क्यूंकि जो जज बनने वाला वो आया नहीं। जहां 1 डायलॉग था वहां 2 पेज के डायलॉग मिल गए। दिन में रिहर्सल करता था रात को नाईट सुपरवायज़र की नौकरी करता था। बिहार के एक मुख्यमंत्री थे जग्गंनाथ मिश्रा ये नाटक उनपर था और उनके निजी जीवन के किस्से को हम नाटक में उतारने वाले थे इसलिए हमें नाटक की सेंसरशिप नहीं मिली और नाटक बन्द हो गया। लेकिन भूख हड़ताल की धमकी देकर नाटक के कहानी को थोड़ा बदलने के बाद ये नाटक फाइनली हुआ। शोले फ़िल्म के गाने के एक्टर जलाल आगा ने मेरा एक नाटक देखा और कहा कि मुझसे आकर मिलो और उन्होंने कहा कि हिंदी ख़राब है । फिर उनसे सीखा कि हिंदी और उर्दू क्या है।”
रामानंद सागर उर्फ़ पापाजी के आंखों में चमके शकुनी!
“मैं सबसे कहता था कि मैं आप सबसे अलग हूं क्यूंकि मैं सीधे नहीं चलता आप लोगों की तरह। इस दौरान मैंने सुना कि रामानंद सागर की महाभारत आ रही है तो मुझे गांव की बात याद आई… ‘शकुनी’! सुनील पांडे कहा करते थे कि तू बडौदा आ जा वहां एक टीम है जो 7 8 लोग की है और वो छोटे मोटे रोल करते रहते हैं। मैं गया वहां रामानंद सागर से मिलने, शाहनवाज़ मिले और उन्होंने कहा कि कृष्णा का सीरियल है तो, मैंने कहा कि मुझे शकुनी का डायलॉग लाकर दे दो बस! उन्होंने मुझे डेढ़ 2 पेज के डायलॉग लाकर दिए, मैंने 10 मिनट में ये सब याद किया और उनको सुनाया! उन्होंने 2 3 दिन बाद कहीं से जुगाड़ करके ऑडिशन में मुझे घुसाया और मुझसे पहले 15 -20 लोग थे।
मोती सागर, रामानंद सागर के बेटे थक गए थे लोगों के ऑडिशन लेकर। मैं हस्तिनापुर के सेट पर जाकर खड़ा हो गया। कुछ सेन्स नहीं था कैमरे, लाइट का… बस शकुनी का डायलॉग बोलने के लिए रेडी था। मेरे डायलॉग के बाद तालियां बजी, 2 पेज का डायलॉग एक बार में बोल दिया, उन्होंने कहा इसी डायलॉग को रो कर कैसे बोलेंगे, मैंने वो भी किया, कॉमेडी में करने को कहा तो मैंने वो भी किया। फिर कहा 2 3 दिन बाद पापा जी (रामानंद सागर) आएँगे उनसे पूछ के आपको लिया जाएगा। जब पापा जी सेट पर होते थे तब पिन ड्राप साइलेंस होता था और हर कोई उनके पीछे चला करता था। चलते चलते बोले कि सबका ऑडिशन मुंबई में हो गया है और सब तय है पहले ही…मैंने जब ये सुना तो उनके पास गया और उनसे सीधे बोला कि कंपटीशन करा लीजिये, जो जीतेगा वही करेगा रोल। उन्होंने मेरे बारे में सुना था और ऑडिशन भी देखा था और मेरा इस तरह उनके सामने आना…शायद यहीं उन्होंने मुझमे शकुनी को देखा! उन्होंने कहा कि तुम ही करोगे अब शकुनी का रोल!
ऐसे बने ‘श्री कृष्ण’ के शकुनी, नए अंदाज़ के साथ!
- जय प्रकाश शर्मा ‘श्री कृष्णा’ में शकुनी के किरदार में!
जब रामानंद सागर और एकता कपूर के बीच फंस गए थे शकुनी!
- जय प्रकाश शर्मा शो ‘साईं बाबा’ के सेट से!