टीवी एक्टर करण ओबेरॉय (Karan Oberoi) के खिलाफ बीती 4 मई को मुंबई पुलिस ने केस दर्ज किया था। पेशे से ज्योतिषी एक महिला ने अभिनेता पर शादी का झांसा देकर रेप और अश्लील वीडियो बनाकर ब्लैकमेल करने का आरोप लगाया था। इस मामले में करण को जेल जाना पड़ा था। फिलहाल इस समय वह जमानत पर बाहर हैं। केस दर्ज होने के करीब 38 दिनों बाद पीड़िता ने मुंबई पुलिस के सामने अपने दो फोन सरेंडर किए हैं। करण के वकील ने पुलिस जांच पर सवाल खड़े किए हैं।
करण ओबेरॉय को बीती 7 जून को बॉम्बे हाईकोर्ट से जमानत मिल चुकी है। उनके वकील दिनेश तिवारी ने पुलिस जांच पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘ये काफी हैरान करने वाली बात है कि पुलिस महिला के फोन जब्त किए बगैर जांच कैसे कर रही थी। 7 जून को जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान माननीय न्यायाधीश ने मुंबई पुलिस को फटकार भी लगाई थी। उन्होंने महिला के फोन जब्त करने में 3 दिन का समय लगा दिया। हो सकता है कि इस दौरान कथित पीड़िता ने अपने फोन का डेटा डिलीट कर दिया हो।’
दिनेश तिवारी ने आगे कहा, ‘पुलिस को केस की शुरूआत में ही महिला के फोन जब्त करने चाहिए थे। हमने कानूनी तौर पर इसकी शिकायत भी की, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। इसकी बेहतर वजह तो पुलिस ही बता सकती है।’ बताया जा रहा है कि मुंबई पुलिस पीड़िता पर 25 मई की सुबह हुए हमले के बारे में जल्द ही पूछताछ कर सकती है।
बताते चलें कि महिला के वकील काशिफ खान ने पीड़िता पर आरोप लगाया था कि वह हमला उसने खुद कराया था। पेशे से ज्योतिषी पीड़िता काला जादू करने में माहिर है और उसने जादू-टोने की मदद से उनके भाई को अपने जाल में फंसाया। दरअसल पीड़िता पर हमले का एक आरोपी वकील काशिफ खान का भाई भी है। काशिफ ने ही अपने भाई को पीड़िता से मिलवाया था।
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