#MeToo: ‘तारक मेहता’ की एक्ट्रेस बोली- यौन शोषण का शिकार होती है हर महिला

मुनमुन नवरात्री उत्सव में शामिल होने पहुंची थी। जहां पर उन्होंने #MeToo पर बयान दिया...

#MeToo की हवा बड़े पर्दे से लेकर छोटे पर्दे पर जोरों से चल रही है। इसके चलते हर कोई इस पर अपनी प्रतिक्रिया देने से नहीं चूक रहा है। हालही में छोटे पर्दे की स्टार मुनमुन दत्ता ने भी इसका समर्थन किया है। मुनमुन नवरात्री उत्सव में शामिल होने पहुंची थी। जहां पर उन्होंने इसको लेकर अपनी राय रखीं।

मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, ‘हर महिला को उम्र के किसी न किसी पड़ाव पर यौन शोषण का शिकार होना पड़ता हैं। Me Too कैंपन के चलते जो महिलाएं अपनी भावनाएं व्यक्त कर रहीं हैं। समाज को उन्हें सम्मान देना चाहिए। इससे पहले बबिता ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर कर अपनी कहानी बताई थी। जिसे पढ़ने के बाद आपकी आंखों में आंसू आ जायेंगे।

मुनमुन ने लिखा, ‘इस तरह एक पोस्ट शेयर कर पूरी दुनिया में महिलाओं पर यौन उत्पीड़न के बारे में इस वैश्विक जागरूकता में शामिल हो रही हूं, जिन सभी ने इस नाव (यौन उत्पीडन) की सवारी की है। प्रत्येक औरत को एक दूसरे का साथ दे रही हैं और उनकी एकता इस समस्या के परिमाण को दर्शाता है।

मुझे ये देखकर हैरानी हुई कि कुछ ‘अच्छे’ पुरुष महिलाओं की संख्या को देखकर हैरान हैं कि कैसे वो बाहर आ चुकी हैं और अपने #METOO अनुभवों को साझा कर रही हैं। नहीं मत होइए! यह आपके अपने पीछे, अपने खुद के घर में, अपनी बहन, बेटी, मां, पत्नी या यहां तक कि आपकी नौकरानी के साथ भी हो रहा है। उनका भरोसा जीतो और उनसे पूछों। आप उनके जवाबों से हैरान होंगे। आप उनकी कहानियों से हैरान होंगे।

ऐसा कुछ लिखते हुए मेरी आंखों में आंसू आ रहें हैं जब मैं एक छोटी सी लड़की थी और अपने पड़ोसी चाचा की आंखों से डरती थी। वो जब भी कोई मौका देखते तो मुझे पकड़ लेते और किसी से कुछ न कहने की धमकी देते, या मेरे अपने बड़े चचेरे भाई जो मुझे अपनी बेटियों की तुलना में अलग ढंग से देखते थे, या जो आदमी जिसने मुझे अस्पताल में देखा था जब मेरा जन्म हुआ था और 13 साल बाद उसने सोचा कि उसके लिए मेरे शरीर को छूने के लिए उपयुक्त समय है क्योंकि मैं एक किशोरावस्था में थी और मेरा शरीर बदल गया था, या मेरे ट्यूशन टीचर जिनका हाथ मेरी पैंटी में था, या एक और शिक्षक जिसे मैंने राखी बांधी थी जो स्टूडेंट्स की ब्रा स्ट्रैप को पीछे से खींचकर मारा करते थे, या रेलवे स्टेशन में वो आदमी जिसने आपको पकड़ लिया, क्यों ?? क्योंकि आप बहुत छोटे हैं और बोलने से डरते हैं। ऐसा डर जो महसूस कर सकते हैं जैसे आपका पेट अन्दर से मुड़ गया है और मुंह तक आ गया है।

आप नहीं जानते कि आप इसे अपने माता-पिता को कैसे समझाएंगे या आप किसी को भी एक शब्द बताने के लिए बहुत शर्मिंदा है और फिर आप उस पुरुष के प्रति गहरी रूढ़िवादी घृणा विकसित करना शुरू कर देते हैं। क्योंकि आप जानते हैं कि वो अपराधी है जो आपको इस तरह से महसूस करा रहे हैं। यह घृणित, और ऐसी मुड़ी हुई भावना जिससे बाहर आने में कई साल लग जाते हैं। मैं इस मूवमेंट में जुड़कर बहुत खुश हूं और लोगों को ये महसूस कराना कि वो अलग नहीं हैं बल्कि मैं भी उनमें से एक हूं। लेकिन आज मैं किसी भी व्यक्ति को चीर दूंगी जो दूर से भी मुझपर ऐसा करने की कोशिश करता है। मैं जो भी हूं उसपर मुझे गर्व है।’

कविता सिंह :विवाह के लिए 36 गुण होते हैं, ऐसा फ़िल्मों में दिखाते हैं, पर लिखने के लिए 36 गुण भी कम हैं। पर लेखन के लिए थोड़े बहुत गुण तो है हीं। बाकी उम्र के साथ-साथ आ जायेंगे।