Taarak Mehta Ka Ooltah Chashmah: गोकुलधाम वासियों ने देखा महात्मा गांधी का स्कूल, जाना बापू के बारे में

तारक मेहता का उल्टा चश्मा सीरियल (Taarak Mehta Ka Ooltah Chashmah) में शुक्रवार को टेलीकास्ट हुए एपिसोड में गोकुलधाम सोसाइटी के लोगों ने 'राष्ट्रपिता' महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) के बारे में जाना।

जेठालाल। (फोटो- ट्विटर)

तारक मेहता का उल्टा चश्मा सीरियल (Taarak Mehta Ka Ooltah Chashmah) का 4 अक्टूबर का एपिसोड रिकैप के साथ शुरू होता है। यह हफ्ता गांधी जयंती (Gandhi Jayanti 2019) स्पेशल एपिसोड है। सीरियल में गोकुलधाम सोसाइटी के लोग पोरबंदर (महात्मा गांधी की जन्मस्थली) जाने के बाद राजकोट पहुंचते हैं, जहां बापू ने पढ़ाई की थी। बापूजी (जेठालाल के पिता) बताते हैं कि महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) पढ़ाई के दौरान यहीं रहे थे। उस स्थान को अब म्यूजियम में तब्दील कर दिया गया है।

बापूजी कहते हैं कि महात्मा गांधी ने इसी स्थान पर कसम खाई थी कि वह हमेशा सत्य बोलेंगे। टप्पू सेना कहती है कि उन्होंने इस जगह से बहुत कुछ सीखा है। भिड़े कहते हैं कि अभी यहां देखने के लिए बहुत कुछ है। सोनू जानने के लिए उत्सुक है कि अभी और क्या-क्या देखना बाकी है।

अल्फ्रेड हाईस्कूल जाते हैं गोकुलधाम वासी

भिड़े कहते हैं कि अभी वो उस स्कूल को देखेंगे जहां महात्मा गांधी पढ़ते थे। इसके बाद वह लोग अल्फ्रेड हाईस्कूल जाते हैं, जहां बापू ने पढ़ाई की थी। इस स्कूल को अब म्यूजियम बना दिया गया है जिसका उद्घाटन पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने किया था।

अहमदाबाद में महात्मा गांधी के दो आश्रम

भिड़े ने गोकुलधाम सोसाइटी के लोगों को बताया कि महात्मा गांधी ने 18 साल की उम्र तक इसी स्कूल में पढ़ाई की थी। इसके बाद वह आगे की पढ़ाई के लिए भावनगर और मुंबई चले गए थे। बापूजी कहते हैं कि अब वह लोग अहमदाबाद स्थित महात्मा गांधी के आश्रम चलेंगे। अहमदाबाद में बापू के दो आश्रम हैं।

पहली बार हुई थी बापू और सरदार वल्लभ भाई पटेल की मुलाकात

बापूजी ने बताया कि यह वही स्थान है, जहां पहली बार महात्मा गांधी की सरदार वल्लभ भाई पटेल से मुलाकात हुई थी। साउथ अफ्रीका से लौटने के बाद महात्मा गांधी ने आश्रम बनाने के लिए इसी जगह को चुना था। इसके बाद गोकुलधाम सोसाइटी के लोग साबरमती आश्रम जाते हैं।

100 साल से ज्यादा पुराना है साबरमती आश्रम

भिड़े ने सभी लोगों को बताया कि यह आश्रम (साबरमती आश्रम) 100 साल से ज्यादा पुराना है। इतिहास के लिहाज से इस आश्रम का काफी महत्व है। यह आश्रम दुनियाभर के नेताओं के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं है। इसके बाद बापूजी सभी लोगों को महात्मा गांधी के घर ले जाते हैं।

2 अक्टूबर को मनाया जाता है ‘चरखा दिवस’

एक महिला ने उन लोगों को बताया कि यहां महात्मा गांधी के जन्मदिन को ‘चरखा दिवस’ के तौर पर भी मनाया जाता है। भिड़े सभी लोगों को साबरमती म्यूजियम ले जाते हैं, जहां महात्मा गांधी की चीजें और उनकी तस्वीरें रखी हुई हैं। महात्मा गांधी ने इसी जगह पर ‘नमक सत्याग्रह’ की रूपरेखा तैयार की थी। भिड़े ने सभी लोगों को ‘सेवाग्राम आश्रम’ के बारे में भी बताया।

बापूजी और टप्पू खेलते हैं गरबा

अगली सुबह बापूजी और टप्पू गरबा खेलते हैं। जेठालाल बाहर आते हैं और वह भी उनके साथ गरबा खेलने लगते हैं। तीनों गरबा का लुत्फ लेते हैं। अचानक टप्पू और जेठालाल रुक जाते हैं, तो बापूजी उनसे रुकने का कारण पूछते हैं। जेठालाल कहते हैं कि उन्हें स्टोर जाना है, उनके पास बहुत काम है। जिसके बाद बापूजी और टप्पू एक बार फिर गरबा खेलने लग जाते हैं।

Online TRP Report: ये रिश्ता क्या कहलाता है सीरियल बना नंबर वन, द कपिल शर्मा शो का दिखा बुरा हाल

यहां देखिए तारक मेहता का उल्टा चश्मा से जुड़ा हुआ वीडियो…

राहुल सिंह :उत्तराखंड के छोटे से शहर हल्द्वानी से ताल्लुक रखता हूं। वैसे लिखने को बहुत कुछ है अपने बारे में, लेकिन यहां शब्दों की सीमा तय है। पत्रकारिता का छात्र रहा हूं। सीख रहा हूं और हमेशा सीखता रहूंगा।