जॉन अब्राहम की फिल्म बाटला हाउस ने तोड़े अब तक के सारे रिकॉर्ड, एक्टर की सबसे बेस्ट फिल्म कहें तो गलत नहीं होगा

इस हफ्ते बॉलीवुड बॉक्स ऑफिस पर अभिनेता जॉन अब्राहम (John Abraham) और मृणाल ठाकुर (Mrunal Thakur) की फिल्म बाटला हाउस (Batla House) रिलीज हो गई है। ऐसे में हम आपको बताएंगे की फिल्म देखना होगा पैसा वसूल ये होगा फिजूल।

दिन है 13 सितम्बर 2017, लोकेशन है दिल्ली। संजीव कुमार यादाव (जॉन अब्राहम, John Abraham) और केके (रवि किशन, Ravi Kishan) अपनी पुलिस टीम को लेकर बाटला हाउस एल-18 नंबर की इमारत की तीसरी मंजिल पर पहुंचते हैं। उसके बाद धड़ाधड़ फायरिंग होती है। पुलिस और आतंकीयों में मुठभेड़ हो जाती है जिसमे दो आतंकी मर जाते हैं और केके को गोली लग जाती है। इस बीच एक आतंकी इन सभी की नजरों से बचकर भाग जाता है।

दिल्लीवासी, मीडिया, राजनेता, कुछ एनजीओ आतंकी इनकाउंटर को संजीव कुमार का फ़र्ज़ी इनकाउंटर समझते हैं। जहाँ संजीव का साथ कोई नहीं दे रहा वहां उनके साथ उनकी पत्नी नंदिता (मृणाल ठाकुर, Mrunal Thakur) साथ खड़ी हैं जो खुद मीडियाकर्मी हैं। ऐसे में अपनी और अपनी टीम को बेकसूर साबित कर पाने में और उस भागे आतंकी को पकड़ पाने में एसीपी संजीव कुमार कामयाब हो पाते हैं या नहीं, जानने के लिए आपको फिल्म देखने जाना ही होगा।

बहुत ही ज्यादा तारीफ़ करनी पड़ेगी बाटला हाउस के फिल्म निर्देशक निखिल आडवाणी की जिन्होंने कहानी को ना केवल रियलिस्टिक रखा है बल्कि पुलिस की जांबाजी, अपराधबोध, बेबसी, उसकी दागदार होती साख, पॉलिटिकल पार्टीज की राजनीति, मानवाधिकार संगठनों का आक्रोश, धार्मिक कट्टरता, मीडिया के प्रोजेक्शन और प्रेशर को फ़िल्मी परदे पर बखूबी दिखाया है। इस फिल्म के डायलॉग भी बड़े गजब हैं। एक सीन में जॉन अब्राहम कहते हैं – एक टैरेरिस्ट को मारने के लिए सरकार जो रकम देती है, उससे ज्यादा तो एक ट्रैफिक पुलिस एक हफ्ते में कमा सकता है।

तृप्ति शर्मा :दो साल से मीडिया जगत में काम कर रही हूं। हर दिन कुछ नया करने की जिद है। वीडियो एडिटिंग के साथ ही फिल्मी खबरें लिखना मुझे बहुत अच्छा लगता है। कुछ और बेहतर होगा इसी उम्मीद के साथ मैं हिन्दी रश डॉट कॉम के साथ जुड़ी हूं।