सुपर 30 (Super 30) फिल्म की कहानी शुरू होती है आनंद कुमार से (ऋतिक रोशन) जिन्हे एजुकेशन मिनिस्टर श्री राम सिंह (पंकज त्रिपाठी) (Pankaj Tripathi) मेडल दे रहे होते हैं उनकी गणितज्ञ की काबिलियत के लिए। लेकिन आनंद कुमार की निगाहें मेडल पर नहीं बल्कि उस गरीब बच्चे के हाथों में होती है जिसने किताब पकड़ रखी होती है। आनंद कुमार खूब पढ़ना चाहते हैं। अपनी मेहनत और बुद्धि के बल पर उन्हें कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में एडमिशन भी मिल जाता है पर पैसो की तंगी की वजह से एडमिशन नहीं हो पाता। गरीबी की वजह से ही आनंद कुमार की प्रेमिका ऋतू (मृणाल ठाकुर) (Mrunal Thakur) भी उन्हें छोड़ उन्हें छोड़ देती है। इस बीच आनंद को ऑफर मिलता है एक कोचिंग में टीचरिंग करने का। आनंद की गरीबी दूर हो जाती है और उनके अच्छे दिन आ जाते हैं। लेकिन फिर उन्हें एहसास होता है कि वो सिर्फ राजा के बच्चों को ही राजा बना रहा है जबकि गरीबों के लिए कुछ करना चाहिए… और फिर आनंद कुमार शुरुवात करते हैं सुपर 30 की। गरीब बच्चों को पढ़ाने के बीच किस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है आनंद कुमार को ये देखने के लिए आपको फिल्म देखने जाना होगा।
ऋतिक रोशन का अभिनय धमाल है
अभिनय के मामले में ऋतिक रोशन (Hrithik Roshan) आनंद कुमार के भीतर घुस चुके हैं। हालांकि कहीं कहीं ऐसा लगा जैसे बिहारी टोन जबरन घुसेड़ने की कोशिश की जा रही है। मृणाल ठाकुर ने अपनी छोटी से भी भूमिका में बेहतर प्रदर्शन किया है। हमेशा की तरह पंकज त्रिपाठी ने सभी का दिल जित लिया है। बाकी सारे किरदारों ने भी अपना 100% दिया है।
विकास बहल का निर्देशन कमाल है
निर्देशन के मामले में विकास बहल ने खुद को फिर एक बार साबित किया है। आनंद कुमार ने गरीब को बच्चों को रास्ते से उठाकर इंजिनियर बनने की कहानी को बहुत बखूबी बड़े स्क्रीन पर फिल्माया है। बच्चों में और आनंद कुमार में जो जज्बा दिखना चाहिए वो दिखाने में विकास बहल सफल हुए हैं। हालांकि आनंद कुमार की जीवन से जुड़े विवादों को उन्होंने फिल्म से दूर रखा है। वैसे कलाइमेक्स और भी बेहतर हो सकता था।